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भुरकुंडा पुलिस ने घरेलु विवाद में युवक को ओपी में बुलाकर जमकर पीटा

भुक्तभोगी ने एसपी से की शिकायत, न्याय की गुहार लगाई

शिकायत के बाद भी फोन पर दी जा रही धमकी 

भुरकुंडा (रामगढ़) : राज्य के मुखिया कहते हैं कि हमने पुलिस को छूट दे रखी है…भले ही उन्होंने इसे अच्छी पुलिसिंग और बेहतर विधि-व्यवस्था संधारण के संदर्भ में कहा हो, लेकिन..किस चीज की छूट दे रखी है, इसका आंकलन सिस्टम से जूझते आम लोग अलग-अलग तरीके से कर रहे हैं।

इधर, भुरकुंडा पुलिस का नया कारनामा सामने आया है। घरेलू विवाद में एक स्थानीय युवक को ओपी में बुलाकर डंडों से बर्बरतापूर्वक पिटाई की गई है। दोनों पैर के पिछले हिस्से में गंभीर काले-नीले निशान पुलिसिया अत्याचार की पराकाष्ठा बयां कह रहे हैं।

इस संबंध में भुक्तभोगी शिवम उर्फ शीबू रजवार, बांग्ला कुआं, भुरकुंडा निवासी ने जिला के पुलिस कप्तान पीयूष पांडेय को आवेदन देकर न्याय की गुहार भी लगाई है। आवेदन में कहा गया है कि 15 नवंबर को घर में मां, बहन और बहनोई से आपसी नोक-झोंक हो गई। जिसके बाद वे लोग भुरकुंडा ओपी चले गये। जहां उन्होंने झूठा आवेदन दे दिया। पुलिस ने दोपहर 2:15 बजे पूछताछ के लिए भुरकुंडा ओपी बुलाया। वहां जाने पर जांच-पड़ताल के बजाय पिटाई शुरू कर दी गई। लगभग आधे घंटे तक मारा गया और डेढ़ घंटे दौड़ाया-कुदवाया गया। शाम  तकरीबन 7:30 बजे छोड़ दिया गया। दूसरे दिन उसने भुरकुंडा सीसीएल अस्पताल और रामगढ़ अस्पताल में चोट का इलाज कराया है।

इधर, भुक्तभोगी ने बताया है कि एसपी को आवेदन देने बाद से उसे स्थानीय स्तर पर लगातार फोन पर धमकियां मिल रही है और परेशान किया जा रहा है। उसने संभावना जताई है कि आगे और परेशानी भी खड़ी की जा सकती है। फोन पर धमकी देनेवाले पुलिसकर्मी है, बिचौलिये हैं या सिर्फ चमचे हैं, यह निष्पक्ष जांच में ही सामने आ पाएगा। फिलहाल भुरकुंडा में इस मार-कुटाई की चर्चा जमकर हो रही है। 

वहीं इस प्रकरण पर लोग भी वेट एंड वाच की स्थिती में हैं। सवाल उठ रहा है कि ओपी बुलाकर किसी के साथ मार-कुटाई को आखिर कैसे जायज ठहराया जा सकता है? कानून तोड़कर युवक की बेरहमी से पिटाई करने के मामले में वरीय अधिकारियों द्वारा क्या कानूनी कार्रवाई की जाएगी, यह फिलहाल भविष्य के गर्भ में है। बहरहाल भुरकुंडा ओपी क्षेत्र में बढ़ते अपराध से साफ है कि पुलिस विधि-व्यवस्था और पब्लिक की सेवा-सुरक्षा को लेकर कितनी संजीदा है। चर्चा है कि ओपी में बिचौलिये और दलाल प्रवृत्ति के लोग हावी हैं। नये-पुराने तथाकथित पुलिस के स्थानीय निजी स्टाफ की भी भूमिका काफी संदिग्ध मानी जा रही है। विधि-व्यवस्था बिगड़ती दिख रही है। पुलिस-पब्लिक संबंध तार-तार होने को है। आम लोग पुलिसिया रवैये से दहशत में हैं। 

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