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रांची की इस ‘कार’ से जुड़ी है गांधीजी की यादें, रामगढ़ तक का किया था सफर

  • आदित्य विक्रम जायसवाल बताते हैं कि वर्ष 1940 में जब महात्मा गांधी रामगढ़ अधिवेशन में शामिल होने आए थे तो उनके कोकर स्थित इसी आवास में 8 घंटे तक रुक कर इसी खास कार से रामगढ़ अधिवेशन में शामिल होने गए थे.

रांची: 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती दिवस पूरा देश मनाता है. इस दिन महात्मा गांधी की देश के प्रति कुर्बानी और उनके सिद्धांतों को याद किया जाता है. साथ ही बापू के पद चिन्हों पर चलने का संकल्प सारी दुनिया लेती है. खासकर कर 2 अक्टूबर के दिन महात्मा गांधी से जुड़ी हर चीजों को लोग याद कर सच्ची श्रद्धांजलि देते हैं. ऐसे तो महात्मा गांधी की यादें देश के हर कोने कोने से जुड़ी हैं, लेकिन रांची जिले में भी महात्मा गांधी की यादों के कई चीजों को आज भी संभालकर रखा गया है. महात्मा गांधी से जुड़ी हर वो चीज बेहद खास हो जाती है जिसे वह उपयोग में लाए हों. रांची जिले के एक परिवार के पास एक ऐसी कार आज भी मौजूद है, जिससे सन 1940 में राष्ट्रपिता बापू रांची से रामगढ़ तक अधिवेशन में शिरकत करने पहुंचे थे. वर्तमान समय में महात्मा गांधी से जुड़ी यादों के साथ इस कार की देखरेख कर रहे आदित्य विक्रम जायसवाल बताते हैं कि वर्ष 1940 में जब महात्मा गांधी रामगढ़ अधिवेशन में शामिल होने आए थे तो उनके कोकर स्थित इसी आवास में 8 घंटे तक रुक कर इसी खास कार से रामगढ़ अधिवेशन में शामिल होने गए थे.

अमेरिका से मंगाई गई थी ये कार

आदित्य विक्रम जायसवाल महात्मा गांधी से जुड़ी इस अनोखी कार के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उनके परदादा राय साहब लक्ष्मी नारायण और रामनारायण ने वर्ष 1927 में अमेरिका से इस गाड़ी को इंपोर्ट कराया था. क्योंकि उनके परिवार में गाड़ी रखने का शौक वर्षों से चला रहा है और वह परंपरा आज भी जारी है. आदित्य विक्रम जयसवाल द्वारा भी कई गाड़ियां को अपने शौक को पूरा करने के लिए रखा गया है. फोर्ड कंपनी की यह गाड़ी आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है क्योंकि 93 वर्ष पूर्व खरीदी यह गाड़ी आज भी लोगों को करोड़ों रुपए में भी नसीब नहीं हो सकता. इसीलिए आदित्य विक्रम जायसवाल के आवास पर आए दिन लोग इस गाड़ी को निहारने आते हैं.

बापू की याद में बनाई गई बापू कुटीर

इस आवास पर ना सिर्फ गांधीजी से जुड़ी कार मौजूद है, बल्कि इस परिवार ने गांधीजी को सम्मान देते हुए उस जगह को भी सहेज कर रखा है जहां गांधी जी 8 घंटे तक रुक कर चाय-नाश्ता किया था और उसके बाद ही रामगढ़ अधिवेशन में शामिल होने गए थे और उस जगह का नाम इस परिवार के लोगों ने बापू कुटीर रखा है.

यह परिवार 93 वर्ष पुरानी उनकी यादों से जुड़े इस कार को धरोहर की तरह सहेज कर रखा है.

वहीं पढ़ाई कर रही छात्रा जूली कुमारी बताती हैं कि हमारे पूर्वजों द्वारा महात्मा गांधी के सिद्धांतों को आए दिन याद किया जाता था और हम लोगों को उनके पद चिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित भी किया जाता था लेकिन आज की पीढ़ी महात्मा गांधी के सिद्धांतों और यादों को भूलती नजर आ रही है ऐसे में जरूरत है को उनके इतिहास और उनसे जुड़े चीजों को लोगों के बीच लाकर उनके सिद्धांतों को फिर से याद किया जाए. गांधीजी भले ही आज हमारे बीच ना हों, लेकिन उनकी यादों को संभालकर रखने वाला यह परिवार निश्चित रूप से बधाई का पात्र है, क्योंकि आपाधापी की दुनिया में जहां लोग उनके सिद्धांतों को भूल रहे हैं ऐसे में ये यह परिवार 93 वर्ष पुरानी उनकी यादों से जुड़े इस कार को धरोहर की तरह सहेज कर रखा है.

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