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जिला के मांडू में संपन्न हुआ संस्कृत सप्ताह, मुकुंद नायक बोले- संस्कृत सभी भाषाओं की जननी, भारतीय संस्कृति की आत्मा है

संस्कृत ज्ञान विज्ञान की भाषा इसे आत्मसात करने की जरूरत: डॉ कश्यप

रामगढ़। संस्कृत सप्ताह का भव्य आयोजन कोरोना जैसे महामारी काल में भी सफलतापूर्वक आज उत्क्रमित मध्य विद्यालय गोविंदपुर मांडू में काफी उत्साह और जोश पूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। पूरे जोश खरोश के साथ झारखंड के अलावे कई राज्यों के विद्वान काफी संख्या में शिरकत ऑनलाइन गूगल मीट के माध्यम से शिरकत की।

अपनी भारतीय संस्कृति आयुर्वेद और वेद विज्ञान योग विज्ञान आदि की बातों को बखूबी ढंग से प्रस्तुत किया। इससे छात्र ऑनलाइन होकर काफी गदगद हुए। इसके मुख्य अतिथि झारखंड के महानायक पद्मश्री से सम्मानित मुकुंद नायक मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित हुए। भारतीय संस्कृति और योग दर्शन आयुर्वेद पर मार्ग दर्शन देते हुए सभी को मंत्रमुग्ध कर दिए। उन्होंने कहा कि संस्कृति भारतीय संस्कृति की दूरी है।संस्कृत के बिना भारत को समझ पाना संभव नहीं है।इसलिए हम सबों को भारतीय संस्कृति को जानने के लिए संस्कृत पढ़ना पढ़ाना आवश्यक है।वेद शास्त्रों ग्रंथों को जानना जरूरी है। श्री नायक ने यह भी कहा कि अगर हमें अपनी संस्कृति को और मजबूती प्रदान करना है तो संस्कृत को अध्ययन करना नितांत आवश्यक है। मंच का सफल संचालन करते हुए डॉ सुनील कुमार कश्यप ने कहा कि इस कोरोना जैसे महामारी में भी लोग घरों में सिमटे हुए हैं।अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।अगर आप को सुरक्षित रहना है और अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना है। आप योग शास्त्र योग विद्या योग का अभ्यास करें और आयुर्वेद में जो वर्णन वर्णित तथ्य हैं। आयुर्वेद द्वारा जो उपचार बताए गए हैं। उनको घर में रहकर निडर होकर निर्भीक होकर उसका सेवन करेंगे तो निश्चित रूप से आप स्वस्थ बने रहेंगे। यह हमारे ऋषि महर्षि ने आज से 2000 वर्ष पूर्व कह चुके हैं लिख चुके हैं।वर्णन तथ्य के आधार पर भारत ही नहीं पूरा विश्व इन योग का और आयुर्वेद का अध्यन करना प्रारंभ कर दिया है यह संस्कृत में लिखित है लेकिन हम लोग उसका अध्ययन कम करते हैं। हमें अध्ययन अधिक करना होगा तभी हम लोग सुरक्षित रहेंगे प्रकृति से हमें प्रेम कराना संस्कृत ही सिखाती है।विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ शैलेश कुमार मिश्र संस्कृत महाविद्यालय के प्राध्यापक ने कहा कि संस्कृत से ही हमारी भारतीय संस्कृति की अपनी पहचान है।इसलिए हम सबों को संस्कृत पर विशेष बल देना चाहिए।अपने छात्रों को अपने बच्चों को पढ़ाना चाहिए । डॉ दीपचंद राम कश्यप पूर्व अध्यक्ष सदस्य और प्रांतीय मंत्री संस्कृत भारती ने कहा कि संस्कृत को अनुवाद विधि से ना पढ़ाएं। बल्कि आप संस्कृत को संस्कृत के माध्यम से पढ़ाएं अग्रसेन डीएवी के प्राचार्य मनोज कुमार मिश्र ने कार्यक्रम की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से ही बीजारोपण किया जा सकता है। इसलिए इन कार्यक्रमों से विद्यालयों में काफी संस्कृत के प्रति रूचि छात्र-छात्राओं में नहीं अभिभावकों में जगी है।चाईबासा कॉलेज के प्राचार्य डॉ पप्पू कुमार यादव ने कहा कि हजारों की संख्या में हमारे संस्कृत के पांडुलिपि लिखे पढ़े हैं। उसे अध्ययन करने की जरूरत है। इस ऑनलाइन कार्यक्रमों में विद्यालय की छात्राओं ने भी सुंदर संस्कृत मधुराष्टकम् गीत प्रस्तुत कर सबका दिल मोह लिया।इस गीत को सुनकर मुकुंद नायक को भी गाने पर मजबूर कर दिया।उन्होंने भी एक सुंदर गीत की प्रस्तुति की आगत अतिथियों का स्वागत विद्यालय के शिक्षक संघ आनंद शर्मा ने किया। जबकि अध्यक्षता विद्यालय की प्रधानाध्यापिका अलीशा बा टोपनो नहीं किया। इस कार्यक्रम को सफलता बनाने के लिए मांडू प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार गुप्ता,अंचल अधिकारी राकेश कुमार श्रीवास्तव, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी डॉ विजय कुमार ने सफलता की कामना की। इस ऑनलाइन कार्यक्रम में सुंदर प्रस्तुति करने वाले छात्रों को विद्यालय खुलने के बाद उन्हें पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा।इस ऑन लाइन कार्यक्रम में विशेषकर रामगढ़ मनोज कुमार शास्त्री, परिचित बहेरा,अवधेश कुमार,गीता मिश्रा, भारतीय दिवेदी,कमलेश कुमार पाठक, अशोक कुमार मिश्रा,कुमारी प्रतिमा, जमीरा उच्च विद्यालय दुल्मी विद्यालय के अध्यक्ष बालेश्वर भुइयां,गौतम कुमार गुप्ता, लाल मांझी बाल संसद के सदस्य सबों ने सुंदर प्रस्तुति कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।साथ ही छोटा सा बालक हर्ष आनंद तेजस्वी ने मंत्र उच्चारण कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस छात्र की सुंदर प्रस्तुति के लिए मुकुंद नायक ने आभार प्रकट किया और विशेष हर्ष आनंद को बधाई दिया।अंत में धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय की प्रधानाध्यापिका अलीशा बा टोपनो ने की। सभा के अंत में शांति पाठ से कार्यक्रम की समाप्ति हुई।

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