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मजदूर संगठनों ने किया 26 मार्च को भारत बंद का ऐलान, निजीकरण के खिलाफ होगा विरोध प्रदर्शन

रांची: झारखंड के संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच के ओर से आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मजदूर नेताओं ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की आत्मनिर्भरता का अर्थ है कॉर्पोरेट घरानों पर निर्भरता और उनके राष्ट्रवाद का मतलब है देश की संप्रभुता को गिरवी रखना. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने कोरोना महामारी का फायदा उठाकर हमारी राष्ट्रीय संपत्ति को बेचने के एजेंडे पर तेजी से काम शुरू कर दिया है, बैंक, बीमा, रेलवे, पेट्रोलियम, कारखानाों को देशी और विदेशी पूंजीपतियों के हवाले किए जा रहे हैं, देश के आत्मनिर्भरता और अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण क्षेत्र इस्पात और कोयला उद्योग का भी तेजी से निजीकरण किए जाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं, जिसके खिलाफ मजदूर वर्ग लगातार आंदोलन कर रहे हैं.

मजदूर नेताओं ने कहा कि इसी महीने बैंक और इंश्योरेंस सेक्टर के 12 लाख से ज्यादा कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ सफल देशव्यापी हड़ताल किया, उसी प्रकार इस्पात मजदूरों ने विशाखापट्टनम स्टील प्लांट में निजीकरण के विरोध में ऐतिहासिक आंदोलन चलाया है, मोदी सरकार ने मुनाफा देने वाले इस स्टील प्लांट को जिसने वर्ष 2019 मे 97 करोड़ का मुनाफा सरकारी खजाने में जमा कराया, उसे दक्षिण कोरिया की कुख्यात कंपनी पौस्को के हाथों बेच रही है, इस स्टील प्लांट में 33 हजार मजदूर काम करते हैं और यह सार्वजनिक क्षेत्र की एक नवरत्न कंपनी है, मोदी सरकार ने इस स्टील प्लांट को अपनी लौह अयस्क की जरूरत के लिए अपना कैप्टिव प्लांट खोलने की इजाजत नहीं दी, जबकि निजी इस्पात संयंत्रों को इस प्रकार की इजाजत दी गई, मोदी सरकार का यह निर्णय पूरी तरह से राष्ट्र विरोधी है, इतना ही नहीं सरकार ने विशाखापट्टनम स्टील प्लांट के 22 हजार एकड जमीन भी कॉर्पोरेट घरानों के हाथों सौंपने की तैयारी कर ली है, यही उनका आत्मनिर्भर भारत का एजेंडा है, जिसमें बड़े कॉर्पोरेट घरानों की तिजोरियां मुनाफे से भर रही है और मेहनतकशों की आय केवल कम ही नहीं हो रही है, बल्कि वे अपने रोजगार से भी वंचित होते जा रहें हैं .

बंद के दौरान कोरोना गाइडलाइन का रखा जाएगा ख्याल
मजदूर नेताओं ने कहा कि देश में किसानों ने तीन कृषि विरोधी कानून, मजदूर विरोधी 4 श्रम कोड और राष्ट्रीय संपदा को पूंजीपतियों के हवाले किए जाने के खिलाफ मजदूरों ने संयुक्त जनांदोलन की पृष्ठभूमि तैयार कर दी है, संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 मार्च को 12 घंटे का भारत बंद का आह्वान किया है, संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच भी उनके समर्थन में है. भारत बंद में कोरोना महामारी के नियंत्रण के लिए जारी सरकार के गाइडलाइन का पालन करते हुए ट्रेड यूनियनों ने बंद का समर्थन किया है. इसकी घोषणा ट्रेड यूनियनों, श्रमिक फेडरेशनों और कर्मचारी एसोसिएशन की बैठक के बाद सीटू कार्यालय में आयोजित संयुक्त प्रेस वार्ता में की गयी. प्रेस वार्ता मे एटक के पीके गांगुली, सच्चिदानंद मिश्र, सीटू के प्रकाश विप्लव, अनिर्वान बोस, एक्टू के शुभेंदु सेन, बेफी के एमएल सिंह समेत मजदूर संगठनों के कई प्रतिनिधि शामिल थे.

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