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अलग सरना धर्म कोड को मान्यता देने की मांग को लेकर विधानसभा से पारित करा प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा:डॉ रामेश्वर

  • विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने किया कार्यक्रम का आयोजन
  • कार्यक्रम में झारखंड के महान विभूतियों को किया गया याद

आर एस प्रसाद “मुन्ना”

रांची। विश्व आदिवासी दिवस पर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से आज राजधानी रांची स्थित पार्टी मुख्यालय में सोशल डिस्टेसिंग के साथ कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर सबसे पहले आदिवासी समाज के महान विभूतियों भगवान बिरसा मुंडा, अमर शहीद सिद्धो-कान्हू चाॅंद-भैरव, नीलाम्बर-पीताम्बर और शहीद वीर बुद्धुभगत समेत शहीदों के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की गयी।

समारोह की अध्यक्षता प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष सह वित्त मंत्री डाॅ रामेश्वर उराॅंव ने किया। जबकि स्वागत भाषण प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रतिनिधि सुखेर भगत ने दिया।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सह वित्त एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव, विधायक दल के नेता सह ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम,कृषि मंत्री बादल,राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू,पूर्व मंत्री सुबोधकांत सहाय समेत अन्य ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।

पार्टी के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अलग सरना धर्म कोड को मान्यता देने की मांग को लेकर विधानसभा से पारित कर एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा और यह उम्मीद है कि केंद्र सरकार इसे मान्यता प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी प्रभारी आरपीएन सिंह की पहल पर वर्ष 2018 में कांग्रेस भवन में आदिवासी दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत की गयी।

कांग्रेस पार्टी का देश को आजादी दिलाने में और बाद में देश के विकास में बड़ा योगदान रहा है।आजादी के पहले देश के प्रथम राष्ट्रपति रहे राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में सेवा दल का गठन किया गया।जिसमें आदिवासी समाज की बड़ी भूमिका रही। देश की आजादी की लड़ाई में भी जनजातीय समुदाय का बड़ा योगदान रहा है।प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से पहले संथाल विद्रोह, हूल विद्रोह समेत अन्य आंदोलन और बाद में टाना भगत समुदाय के लोग अंग्रेजी शासन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ संघर्ष के लिए आगे। आजादी के बाद देश का संविधान बना।

संविधान में आदिवासी समाज के हित और अधिकार की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाये गये। कांग्रेस सरकार ने सीएनटी-एसपीटी कानून को मजबूत करने का काम किया।आदिवासियों की जमीन की रक्षा हो सके।इसके लिए कठोर कानून बनाये गये।लेकिन भाजपा सरकार ने जल-जंगल और जमीन को छीनने की कोशिश की। वर्ष 2013 में जमीन की रक्षा को लेकर बनाये गये कानून में छेड़छाड़ की कोशिश की गयी, वन अधिकार कानून को भी सख्ती से लागू नहीं किया गया।लेकिन कांग्रेस पार्टी के प्रयास से उनकी यह कोशिश सफल नहीं हुआ। इसके बावजूद लोगों को अपने हक और अधिकार की रक्षा को लेकर अब और सतर्क रहने की जरूरत है।

  • कांग्रेस शासनकाल में आदिवासियों के जल जंगल और जमीन की रक्षा को लेकर कानून बना:आलमगीर

कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि 9 अगस्त को विश्व आदिवासी मनाने की शुरुआत 35वर्ष पहले शुरू हुई, इससे पहले नौ अगस्त को देश में अगस्त क्रांति दिवस मनाया जाता था।यूएनओ ने इसी दिन को विश्व आदिवासी दिवस के लिए चुना,इससे एक बड़ा संदेश जाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन की रक्षा को लेकर कानून बनाया गया।जनजातीय समुदाय के विकास के लिए ईमानदार कोशिश की गयी और अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य सरकार समाज के सभी वर्गां के हित के लिए काम किया जा रहा है।

  • कांग्रेस शासनकाल में आदिवासियों का विकास हुआ:धीरज साहू

राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू ने कहा कि बचपन से आज तक वे आदिवासियों के बीच रहे है।उन्होंने देखा है कि कांग्रेस शासनकाल में आदिवासियों का काफी विकास हुआ है, समृद्धि आयी है।लेकिन आज कुछ लोग आदिवासियों को बरगलाने में लगे है।पर उनकी यह साजिश सफल नहीं होगी।

 

  • आदिवासी समाज प्रकृति के पूजक रहे हैं:सुबोधकांत

इस मौके पर पूर्व मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति के पूजक रहे है।कभी वे सनातन परंपरा के पक्षधर नहीं रहे है, लेकिन एक साजिश उन्हें सनातन धर्मी बताया जा रहा है।उनकी परंपरा से छेड़छाड़ की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर अलग सरना धर्म कोड को लेकर प्रस्ताव पारित कर भेजे,उसे पारित कराने के लिए कांग्रेस पार्टी दिल्ली में भी हरसंभव कोशिश करेगी। सुबोधकांत सहाय ने कहा कि आज अडाणी और अंबानी के इशारे पर गांव के लोगों की जमीन छीनने की कोशिश की जा रही है।इससे सभी को सचेत रहने की जरूरत है।

  • झारखंड में आदिवासियों का उत्थान इंदिरा गांधी की देन:बादल पत्रलेख

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि आदिवासी समाज के लिए हमारे नेत्री जो आज हमारे बीच में नहीं है।श्रीमती इन्दिरा गाॅंधी की अपने क्रियाकलापों से आदिवासी समाज को आगे लाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। झारखण्ड के आदिवासी संस्कृति का उत्थान भी इन्दिरा जी की देन है। अभी परिस्थितियाॅं विषम है। पूरी दुनिया आपदा में है।लेकिन इसके बावजूद प्रदेश कांग्रेस कमिटी आदिवासियों के लिए कार्यक्रम प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक आयोजित कर अपनी प्रतिबद्धता प्रकट कर रही है।

  • कार्यक्रम को किया संबोधित

समारोह को प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, राजेश ठाकुर, संजय लाल पासवान, जोनल कोआर्डिनेटर रमा खलखो, गीताश्री उराॅंव, प्रकाश उराॅंव, गुंजन सिंह ने भी सम्बोधित किया।
कार्यक्रम का संचालन आयोजन समिति के सदस्य अमूल्य नीरज खलखो ने किया। जबकि धन्यवाद ज्ञापन बेलस तिर्की ने किया एवं आयोजन समिति के सदस्य सतीश पाॅल मुंजनी एवं डाॅ राजेश गुप्ता छोटू ने सभी अतिथियों को शाॅल एवं बुके देकर सम्मानित किया।

  • आदिवासी समाज के सामाजिक और बुद्धिजीवियों को सम्मानित किया गया

इस अवसर पर आदिवासी समाज के सक्रिय सामाजिक कार्यकर्त्ताओं, बुद्धिजीवियों और विभिन्न परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र छात्राओं को भी सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में चयनित डॉ. आकांक्षा खलखो, रोबिसन गुड़िया, जैक 12वीं परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली स्टेट टापर लीजा उरांव,सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं क्रांतिकारी दयामनी बारला, बुद्धिजीवी केसी कुडू,प्रो. दयमंति सिंकू, प्रो. महेश भगत,पत्रकार संतोष किड़ो, डॉ. अनूप मुंडा को आदिवासी समाज के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने वालों को सम्मानित किया गया।

  • कार्यक्रम में हुए शामिल

कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता सर्वश्री आलोक कुमार दूबे, राजीव रंजन प्रसाद, डाॅ राकेश किरण महतो, मदन मोहन शर्मा, भीपी शरण, निरंजन पासवान, गजेन्द्र सिंह, नेली नाथन, सुरेश बैठा, रामकृष्ण चैधरी, राजेश सिन्हा सन्नी, उज्जवल तिवारी, राखी कौर, लक्ष्मी भगत, गोविन्दा उराॅंव, सुषमा हेम्ब्रम, मौसमी मिंज, सीमा नाग, फिरोज रिज्वी मुन्ना, राकेश कुजूर, सेवियर खेस, रोहित प्रियदर्शी उराॅंव, हेमा मिंज, फूलमनी देवी, सीमा कच्छप, उमर खान, प्रेमनाथ मुण्डा, डाॅ बिरसा उराॅंव, रमेश उराॅंव, सुषमा हेमरोम, मौसमी मिंज, किरण कुमारी, कुसुम लकड़ा, अनिता मिंज, रामानन्द केशरी आदि शामिल थे।

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