- हजारीबाग के उपमहापौर की मौत से स्तब्ध हूं,निःशब्द हूं:बादल पत्रलेख
- राजकुमार लाल के न रहने से मेरे जीवन में रिक्तिता आ गई है:जयंत सिन्हा
हजारीबाग। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं हजारीबाग के उपमहापौर राजकुमार लाल का निधन हो गया है। हजारीबाग में उनका अंतिम संस्कार किया गया है। राजकुमार लाल के शव यात्रा में हजारीबाग के सैकड़ों लोग शामिल हुए। हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा से लेकर भाजपा के लगभग सभी वरिष्ठ नेता शामिल हुए। सांसद जयंत सिन्हा ने कहा कि राजकुमार लाल के जाने से मेरे जीवन में जो रिक्तिता आई है। उसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता है। वह एक सच्चे कर्मठ और निष्ठावान जनसेवक थे ईश्वर उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दे।
खुशमिजाज बहु गुड़ी व्यक्तित्व के धनी राजकुमार लाल हम सबों के बीच नहीं रहे:बादल
झारखंड प्रदेश के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने हजारीबाग के उपमहापौर के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।शोक व्यक्त करते हुए बादल पत्रलेख ने कहा है कि सुबह जब मुझे यह जानकारी मिली तो मैं हैरान रह गया। हजारीबाग नगर निगम के उपमहापौर राजकुमार लाल जी अब इस दुनिया में नहीं रहे। पहले से सुनकर यह विश्वास ही नहीं हुआ।लेकिन जब स्पष्ट पता चला कि बीती रात उनके सीने में दर्द हुआ और हार्ट अटैक होने से उनकी असमय मृत्यु हो गई तो दिल अंदर से कठिन पीड़ा से भर गया।
स्तब्ध हूं, निःशब्द हूं उनके प्यार, दुलार और सानिध्य हजारीबाग में वर्षों तक मुझे प्राप्त हुआ।वह शांत और निष्पक्ष स्वभाव के साथ संवेदनशील और संतुलित तरीके के खुशमिजाज बहुगुणी व्यक्तित्व के धनी थे। दया भावना, नर्म स्वभाव और निष्पक्षता ही उनकी पहचान थी। उनकी मृत्यु से हजारीबाग को जो क्षति हुआ वह वर्षों तक पूरी नहीं की जा सकती। उनका हम सबों को आसमय छोड़कर चले जाना बेहद दुखद है।ईश्वर आपकी आत्मा को सद्गति और आपके परिवारजनों को दुःख सहने का अदम्य साहस प्रदान करें।
कल दिन भर साथ निभाने वाला व्यक्ति कुछ घंटों में ही चल बसा:अनिल मिश्रा
वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता अनिल कुमार मिश्रा ने कहा कि राजकुमार लाल के आकस्मिक मृत्यु हो जाने से मन बहुत ही व्यथित और मर्मआहत है। इसलिए नहीं कि मैं उन्हें मित्र मानता था इसलिए भी नहीं कि वह पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता थे। बल्कि इसलिए कि उनकी मौत जीवन और मृत्यु की पहेली को पल भर में उलझा कर रख दिया है। जो व्यक्ति कल दिन भर साथ बिताया हो। अच्छी हंसी मजाक की हो। जीवन का खुशनुमा सपना बांटा हो और कुछ घंटों के बाद पता चले कि उनकी आंखे बंद हो गई है। कितना अजीब है आखिर इंसान जिंदगी भर क्यों भटकता है। जब उसका कुछ पल भी उसका साथ ना दे। मैं सोचता रह गया इतना पैसा इतना शोहरत कमाने के पीछे व्यक्ति क्यों लगा हुआ रहता है। राजकुमार लाल के निधन से आज मुझे काफी दुख हुआ है।