जामताड़ा : दहेज प्रथा समाज के लिए नासूर है। यह तभी जड़ से मिटेगा, जब समाज से जन जागरूकता अभियान शुरू होगा। ये बातें सामाज सेवी गाजी रहमतुल्लाह रहमत ने कही। उन्होंने समाज के लोगों से दहेज प्रथा उन्मूलन के लिए जन संपर्क एवं जागरूकता अभियान चलाने की अपील की। जब तक हम समाज के सभी वर्ग के लोगों के बीच जाकर दहेज प्रथा की बुराई को नहीं बताएंगे, तब तक समाज से दहेज रूपी दानव को बाहर नहीं किया जा सकता ।
उन्होंने कहा कि आए दिन समाचार पत्र में दहेज हत्या और दहेज प्रताड़ना की खबरों से भरे होते हैं। गरीब , मजदूर, निर्धन, दलित, अल्पसंख्यक एवं शोषित वर्ग की बहन बेटियां दहेज के कारण या तो अविवाहित रह जाती हैं अथवा उनके भाई- बाप की जमीन बिक्री हो जाती हैं। कुछ लोग अपनी जमीन महाजनों के हाथों या तो सूद बंधक रख देते हैं या नहीं तो हमेशा के लिए बेचकर अपनी बहन बेटियों का विवाह कराते हैं। इससे सामाजिक व्यवस्था ठप हो जाती है और बेटी का बाप आर्थिक रूप से टूट जाता है ।
उन्होंने कहा कि समाज के हर वर्ग के लोग सुखी संपन्न रह सके, लोगों के अंदर सामाजिक समरसता पैदा हो सके तथा वे महाजनों के हाथों मजबूर होने से बच सके, इसके लिए हमें दहेज प्रथा को समाज से समाप्त करना है । इसके लिए जन-जन को जागृत करने की जरूरत है। दहेज रोकथाम अभियान से जुड़े तमाम कार्यकर्ता गण एवं आमजन इसके लिए दृढ़ संकल्पित हैं। उन्होंने दहेज प्रथा जन जागरूकता का अगला कार्यक्रम देवघर एवं धनबाद जिले में आयोजित करने की जानकारी दी ।
अब देवघर तथा धनबाद जिले के सभी प्रखंडों में जनसंपर्क एवं जागरूकता अभियान चलेगा । नुक्कड़ नाटक एवं चलंत सभाओं का आयोजन होगा । गाज़ी रहमत ने कहा कि लोग बहुत हद तक जागरूक हो चुके हैं और बिना दहेज की शादियां भी करने लगे हैं। यह हमारे अभियान की सफलता का प्रतिफल है । उन्होंने कहा कि बहुत जल्द समाज में लड़कियों को विरासत देने और दिलाने का अभियान चलाया जाएगा। जब दहेज प्रथा समाप्त हो जाएगी और लड़कियों को विरासत मिलनी शुरू हो जाएंगी तो लड़कियां खुद ब खुद आत्म सम्मान एवं आत्मविश्वास के साथ जियेगी।
दहेज लेन देन करने वालों का सामाजिक बहिष्कार होगा और दोषी पाए जाने वाले लोगों को दहेज निषेध अधिनियम 1961 के अनुसार दंडित करवाने के लिए प्रशासनिक सहयोग की मांग की जाएगी ।