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अविवाहित हरि राणा नसबंदी प्ररकरण, राज्य मानवाधिकार आयोग ने मामले का लिया संज्ञान

  • न्याय के लिए दरदर की ठोकर खा रहा है पीड़ित नेत्रहिन
  • तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने रिपोर्ट में कही गई सहिया व भतीजा के कहने पर नसबंदी की बात

देवघर। जिले के सारवां सीएचसी में पिछले दिनों लक्ष्य पूरा करने के उद्देश्य से मंझीलाडीह राणा टोला निवासी नेत्रहीन अविवाहित हरि राणा का बिना इजाजत नसबंदी कर दिए जाने का मामला एक बार फिर सूर्खियों में आ गया है। फिलहाल पीड़ित न्याय के लिए दरदर की ठोकर खा रहा है। लेकिन उसे अब तक न्याय नहीं मिलने से कोर्ट की शरण में जाने की बात कही है। मामले पर झारखंड राज्य मानवाधिकार आयोग ने पीड़ित के शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एक वाद दर्ज कर सिविल सर्जन से रिपोर्ट की मांग की थी। जिसमें उपायुक्त के निर्देश पर सिविल सर्जन गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी में जिला आरसीएच पदाधिकारी डॉ मंजूला मुर्मू, डॉ विद्यु बिवोध, डॉ एके सिंह शामिल थे। जांच कमेटी ने 18 दिसंबर 20 को किए गए अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि सहिया चिंता देवी व पीड़ित के भतीजा आनंद कुमार के कहने पर 30 नवंबर 20 को सीएचसी सारवां में हाईड्रोसिल व नसंबदी किया गया है।

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जांच के दिन शिकायतकर्ता हरि राणा व उस क्षेत्र की सहिया को जांच समिति के समक्ष बुलाया गया। सहिया चिंता देवी ने कहा कि मंढालीडीह हरि णाया दो तीन वर्ष से हाइड्रोसिल में दर्द की शिकायत कर रहा था। 30 नवंबर 20 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सारवां में बंध्याकरण आपरेशन एवं पुरुष नसबंदी हेतु सहिया चिंता देवी कैंप में हाईड्रोलसिल व नसंबदी कराने के लिए हिर राणा को लाए थे। शिकायतकर्ता अपना हाईड्रोसिल व नसबंदी कराना चाह रहे थे। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सारवां ने सहिया व पीड़ित के भतीजा आनंद कुमार से पुछने पर बताया गया कि हरि राणा का हाईड्रपोसिल एवं नसबंदी का आपरेशन कराना है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने शिकायतकर्ता से पूछने पर पीड़ित ने बताया कि हमें बच्चे की जरुरत नहीं है लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वह अविवाहित हैं।

आनंद कुमार द्वारा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को बताया गया कि नसबंदी होने से मेरे चाचा को कुछ आर्थिक लाभ भी मिल जाएगा। उसके बाद हरि राणा का आपरेशन कराने के लिए ओटी ले जाया गया था। उनका हाइड्रोसिल एवं नसबंदी किया गया। लेकिन इसी बीच सर्जन को पता चला कि वह शादीशुदा नहीं है। दाहिने साईड का नसबंदी नहीं किया गया और उस साईड का टुयुब(नस) सुरक्षित है छोड़ दिया गया। हरिणा से पुछने पर उसने बताया कि उन्होंने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सीएचसी सारवां को ऐसा कुछ भी नहीं कहा। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में वाह्य रोगी पर्ची, ओटी नोटस, आपरेशन कक्ष में कार्यरत कर्मी का बयान, पैथोलॉजी रिपोर्ट, बीएचटी, रिस्कवॉण्ड व कर्मी राकेश कुमार के बयान की छाया प्रति भी संलग्न किया है। बता दें कि इस मामले का उद्भेदन झारखंड संदेश ने प्रमुखता के साथ घटना के समय किया था और जांच रिपोर्ट में कही गयी बातों को उजागर कर चूका है।
न्याय नहीं मिलने से कोर्ट का लेगें शरण: हरि राणा

इस बाबत पूछे जाने पर पीड़ित हरि राणा ने एक बार फिर बिना इजाजत नसबंदी कर दिए जाने की अपनी बात अडिग है। उन्होंने कहा कि घटना के बाद मामले की शिकायत मुख्यमंत्री, उपायुक्त व मानवाधिकार आयोग से किए जाने बाद सिविल सर्जन द्वारा गठित कमेटी ने मामले की जांच तो की है लेकिन अब तक मुझे न्याय नहीं मिला है। जिससे बाध्य होकर कोर्ट की शरण जाकर न्याय की गुहार लगाने का काम करेगें। उन्होंने राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा मामले का संज्ञान लिए जाने पर आभार जताया है।

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