Ramgarh। माह-ए-रमजान अल्लाह की इबादत का महीना है। रोजेदार इस माह में इबादत के साथ अल्लाह से अपने तमाम गुनाहों की माफ़ी मांगते हैं। रोजेदारों की दुआ अल्लाह ज़रूर कबूल करते हैं। अल्लाह, रमजान के पहले अशरे में रहमत नाजिल करता है। पहला अशरे का दस दिन बंदों के लिए ऐसा है! जैसे हाकिमे आला के यहां शिरकत की दावत हो। अंसार नावेद बताते हैं कि पहला अशरे गुजर रहा है।
ये महीना मगफिरत, बरकत और इज्जत वाला है! ये अशरे खुदा से नजदीक होने का है। आज समाज की जितनी बुराइयां है! वह सब लालच की वजह से है। रमजान के माह में रोजा इसलिए रहा जाता है कि जब तक इंसान को खुद की भूख-प्यास का एहसास नहीं होगा। तब तक वह दूसरों की भूख-प्यास का एहसास नहीं कर सकेगा।अंसार नावेद ने तमाम रोजेदारों से कहा है कि इफ्तार के वक्त हर दुआ बहुत जल्द कबूल होती है। क्योंकि इस वक्त अल्लाह अपने बंदों के बिल्कुल नजदीक होता है।
इफ्तार के वक्त रोजेदार से अपील है कि जब वे रोजा खोलने बैठे तो सबसे पहले देश के लिए अपने देशवासियों के लिए दुआ करें। मांगे कि जल्दी से जल्दी कोरोना जैसे महामारी हमारे समाज व देश से खत्म हो सके। इस वक्त अल्लाह अपने बंदों की दुआएं जल्दी कबूल फरमाते हैं।