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सुशांत केस: सुप्रीम कोर्ट में  रिया की याचिका पर फैसला सुरक्षित

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में आज अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें से एक याचिका में रिया ने सुशांत के पिता केके सिंह की ओर से पटना में दर्ज कराए गए मामले को मुंबई स्थानांतरित करने की अपील की। रिया की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान तो बिहार सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह पैरवी कर रहे थे। वहीं, सुशांत के पिता की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह और महाराष्ट्र सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी रख रहे थे। मामले में करीब 3 घंटे चली मैराथन सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रिया चक्रवर्ती की ट्रांसफर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

सीबीआई के वकील की दलीलें
बिहार के एसपी विनय तिवारी को क्वारंटीन करने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने अगले दिन तीन अगस्त को नियम में बदलाव किया। ऐसा जांच में बाधा पहुंचाने के लिए किया गया। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जांच में जुटी पुलिस अधिकारियों के लिए क्वारंटीन का नियम नहीं होना चाहिए। सीबीआई की ओर से पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रिया इस मामले में पीड़िता हैं या आरोपी है या शिकायतकर्ता, यह हमें नहीं पता लेकिन रिया ने जिस दिन सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर की याचिका दायर की, उस वक्त उसके खिलाफ मुंबई में कोई भी मुकदमा लंबित नहीं था। मुंबई पुलिस के हलफनामे से लगता है कि वह मानकर चल रही है कि सुशांत ने आत्महत्या की। सुशांत के पिता की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह की दलील
वह (सुशांत के पिता) सिर्फ इस मामले में से ट्रायल चाहते हैं। मुझे मुंबई पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं। मुंबई पुलिस जांच को किसी अन्य दिशा में ले जा रही है। मुंबई पुलिस सभी को समन कर चुकी है लेकिन संदिग्ध लोगों, आरोपियों को अब तक तलब नहीं किया गया। रिया ने सब कुछ कंट्रोल कर रखा था, लेकिन मुंबई पुलिस ने अब तक रिया से पूछताछ नहीं की है। अहम बात यह है कि मैंने (सुशांत के पिता) अपना बेटा खोया है।
बिहार सरकार की ओर से वकील मनिंदर सिंह की दलील
मनिंदर सिंह ने कहा कि पटना में एफआईआर दर्ज कराना जरूरी था। यह पता लगाने की जरूरत है कि सुशांत की हत्या हुई थी या उसने आत्महत्या की थी। मुंबई पुलिस ने इतने दिनों बाद भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं की। राजनीतिक दबाव बिहार नहीं बल्कि महाराष्ट्र में है, इसी के कारण अब तक मुंबई में एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई है। आखिर महाराष्ट्र सरकार क्या छुपाना चाह रही है? शुरुआती छानबीन के स्तर पर क्षेत्र अधिकार का मसला नहीं उठाया सकता।
जब तक छानबीन पूरी नहीं हो जाती और रिपोर्ट सौंप नहीं दी जाती तब तक मुकदमे को ट्रांसफर की अर्जी दाखिल नहीं की जा सकती। सुशांत की बहन 10 मिनट की दूरी पर रहती थी, लेकिन उसके घर पहुंचने से पहले ही रूम को खोला गया, बहन के आने तक का इंतजार नहीं किया गया।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी की दलील
रिया की ओर से वकील श्याम दीवान के बाद अब महाराष्ट्र सरकार की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी शीर्ष अदालत के सामने अपनी दलीलें रख रहे हैं। सिंघवी ने भी बिहार में एफआइआर दर्ज करने को गलत बताया। सिंघवी ने कहा, इस मामले में जो हो रहा है वह संघीय ढांचे को खत्म करने का प्रयास है। एक ट्रांसफर याचिका को लेकर इतना हो हल्ला हमने अब तक नहीं देखा। सिंघवी ने कहा कि बिहार में चुनाव होने वाले हैं इसलिए यह सब हो रहा है।  या तो सीबीआई जांच का आदेश हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट दे सकता है या जिस राज्य में यह घटना हुई हो, वह राज्य सरकार सीबीआई जांच की मांग करे। यहां यह भी सवाल है कि क्या एकल पीठ किसी भी मामले को एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफर कर सकती है?
 रिया के वकील श्याम दीवान ने रखीं ये दलीलें
रिया के वकील ने अदालत से कहा है कि इस मामले का संबंध पटना से नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि जब घटना मुंबई में हुई तो मामला पटना में क्यों। रिया के वकील ने कहा कि पटना में एफआईआर दर्ज कराना कानूनी रूप से गलत है।
उन्होंने कहा कि घटना के 38 दिन बाद पटना में दर्ज की गई एफआईआर में पक्षपात होने का अंदेशा है, इसलिए इस मामले की जांच मुंबई पुलिस को ही करनी चाहिए। श्याम दीवान ने अदालत से कहा कि बिहार में दर्ज एफआईआर का किसी अपराध से संबंध नहीं है। दीवान ने कहा कि रिया चक्रवर्ती खुद बहुत परेशान हैं, उन्हें धमकियां दी जा रही हैं।
रिया की ओर से दीवान ने कहा कि वह सुशांत से प्यार करती थीं और सुशांत की मौत के बाद से सदमे में हैं। अब उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, बलि का बकरा बनाया जा रहा है। दीवान ने कहा कि बिहार सरकार को सिर्फ जीरो एफआईआर दर्ज करने का अधिकार था। मुंबई पुलिस अब तक 56 लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है। उन्होंने कहा कि सुशांत की मौत की सभी कोणों से जांच मुंबई पुलिस कर रही है। छानबीन की रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि मेरी ओर से याचिका दायर करने के बाद सीबीआई को जांच सौंपी गई। इस मामले की जांच मुंबई पुलिस को ही करनी चाहिए। दीवान ने दलील दी कि पटना पुलिस एफआईआर दर्ज करने में हिचक रही थी लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और संजय झा के दबाव के कारण दर्ज की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने दीवान से पूछा कि आप चाहते हैं कि इस मामले की जांच सीबीआई करे? जवाब में श्याम दीवान ने कहा कि पहले इस मामले को मुंबई पुलिस को सौंपा जाए, सीबीआई जांच इसके बाद की बात है।

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