नई दिल्ली। कोविड-19 संकट से जूझती दुनिया में रोजमर्रा के कामकाज फिर से पटरी पर लौट रहे हैं। देश में भी लोगों ने इस महामारी के साथ जीना सीख लिया है। ऐसे वक्त में संसद के मानसून सत्र का अगस्त के आखिरी सप्ताह या सितंबर के पहले सप्ताह में आयोजन किया जा सकता है। हालांकि कोविड-19 को देखते हुए संसद में पहली बार नई प्रक्रियाओं को अपनाया जाएगा। इनमें शारीरिक दूरी का पालन सुनिश्चित करने के नियमों के साथ ही बैठने की व्यवस्था में बदलाव सहित कई सुरक्षात्मक कदम उठाए जाएंगे।
राज्यसभा में ऐसे बैठेंगे सदस्य
राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक, सत्र के दौरान राज्यसभा और लोकसभा सदस्य दोनों कक्षों और दीर्घाओं में बैठेंगे। यह भारतीय संसद के इतिहास में 1952 के बाद पहली बार होगा जब इस तरह की व्यवस्था की जाएगी। 60 सदस्य राज्यसभा कक्ष में और 51 दीर्घाओं में बैठेंगे। शेष 132 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था लोकसभा कक्ष में की जाएगी। बैठने की ऐसी ही व्यवस्था करने में लोकसभा सचिवालय भी जुटा हुआ है।
नायडू और बिरला ने की बैठक
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के मध्य 17 जुलाई को हुई बैठक में संसद सत्र के आयोजन को लेकर विभिन्न विकल्पों पर विचार के बाद दोनों सदनों के कक्षों और दीर्घाओं के इस्तेमाल का निर्णय लिया गया। नायडू ने अधिकारियों को आदेश दिया था कि अगस्त के तीसरे सप्ताह तक सत्र की तैयारी पूरी कर ली जाए। उस वक्त टेस्टिंग, रिहर्सल और अंतिम निरीक्षण किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि राज्यसभा सचिवालय पिछले दो सप्ताह से पूरी तैयारी के साथ काम कर रहा है।
यह हो सकता है बड़ा बदलाव
दोनों सदनों में एक साथ काम होता है। हालांकि सूत्रों के अनुसार, इस बार असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए एक सदन सुबह और दूसरा शाम को बैठेगा। संसद के अंतिम बजट सत्र को कोविड-19 महामारी के कारण दोनों सदनों को 23 मार्च को स्थगित कर दिया गया। परंपरा है कि सत्र को संसद के पिछले सत्र को छह महीने बीतने से पहले बुलाया जाना है।
यह होने जा रहा है बदलाव
निर्धारित समय में कई अतिरिक्त चीजों को सुनिश्चित करने के लिए कार्य तेजी से चल रह है। जिसके अंतर्गत सदन में चार बड़ी डिस्प्ले स्क्रीन, चार दीर्घाओं में छह छोटी स्क्रीन और ऑडियो कंसोल, पराबैंगनी कीटाणुनाशक विकिरण, ऑडियो-वीडियो सिग्नल के ट्रांसमिशन के लिए सदनों के मध्य विशेष तार और सदन से पॉली कार्बोनेट शीट के जरिये गैलेरी को अलग करना शामिल है।