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राधा गोविन्द विश्वविद्यालय मैं एक दिवसीय राष्ट्रीय बेविनार का आयोजन

‘जैव प्रौद्योगिकी’ एवं ‘भूगोल’ विभाग के संयुक्त तत्वाधान मैं हुआ राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

रामगढ़।राधा गोविन्द विश्वविद्यालय रामगढ़ के जैव प्रौद्योगिकी एवं भूगोल विभाग के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। यह वेबिनार ‘ स्किल डेवलपमेंट फ़ॉर टीचिंग, रिसर्च एंड साइंटिफिक राइटिंग इन हायर स्टडीज’ विषय पर आधारित था ।

वेबिनार का शुभारंभ कुलपति प्रो. डॉ. एम. रज़ीउद्दीन द्वारा स्वागत भाषण देकर किया गया।उन्होंने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि कोविड-19 के इस समय में परिस्थितियाँ पूर्णतः बदल चुकी है।टेक्नोलॉजी पर निर्भरता बढ़ गयी इसलिए आवश्यक है।समय की मांग के अनुसार स्वयं को ढाला जाय। अपने कौशल विकास के साथ-साथ शोध की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए कैसे उसे और बेहतर बनाया जा सके।ताकि वह समाज के लिए हितकर हो इस पर बात की।

उन्होंने शोधकार्य के प्रकाशन पर विशेष बल दिया क्योंकि जिस कार्य से समाज की प्रगति न हो वह कार्य निरर्थक है।उसका कोई औचित्य नहीं है।इसके बाद कुलाधिपति बी. एन. साह ने सभी का अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि आभासी माध्यम एक अच्छा मौका है।घर बैठे शिक्षाविदों के अनुभवों से लाभान्वित होने का,उच्च शिक्षा में आये नए बदलाव और कौशल विकास की महत्ता को जानने समझने का । उन्होंने गणमान्य अतिथियों का विशेष रूप से अभिनन्दन किया कि व्यस्त कार्यक्रमों के बीच उन्होंने विश्वविद्यालय के लिए अपना बहुमूल्य समय दिया ।

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मुख्य वक्ताओं के रूप में पश्चिम बंगाल से वर्द्धमान विश्वविद्यालय, वनस्पति विभाग के प्रो. डॉ. राजीब बंदोपाध्याय, भोपाल से होप की सलाहकार एवं निर्देशक डॉ. फ़हमीना बख्त और राँची से उषा मार्टिन विश्वविद्यालय की शिक्षा विभाग की अध्यक्ष प्रो. डॉ. प्रत्युषा विश्वास मौजूद रहे ।

डॉ. राजीब बंदोपाध्याय ने कक्षा में दी जाने वाली शिक्षा से लेकर आभासी माध्यम द्वारा दी जाने वाली शिक्षा के अंतर्गत आये बदलाव पर सविस्तार चर्चा की । उन्होंने कहा कि शिक्षा अब चौक और डस्टर की पारम्परिक पद्धति से हटकर टेक्नोलॉजी बेस्ड हो गयी है । अतः इससे जुड़ना शिक्षक और विद्यार्थी दोनों के लिए आवश्यक हो गया है । इस मुश्किल परिस्थिति में भी कैसे हम अपने लिए नए अवसर तलाशें इस पर भी बात की ।

डॉ. फ़हमीना बख़्त ने अपने व्याख्यान में शोध के अंतर्गत केस स्टडी का क्या महत्व है और इसके कितने प्रकार हैं, इस पर अपने विचार रखे । साथ ही, शोध लेखन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया । तीसरे व्याख्याता के रूप में डॉ प्रत्युषा विश्वास ने ‘नई शिक्षा नीति’ पर सविस्तार बात की । इसके लाभ एवं क्रियान्वयन की जटिलताओं पर चर्चा की । इसके बाद प्रश्रोत्तर सत्र भी चला । सभी वक्ताओं ने अपने अकाट्य तर्कों द्वारा प्रतिभागियों की शंका का सामाधान किया।

इस वेबिनार से लगभग 245 प्रतिभागी जुड़े । कार्यक्रम का संचालन एवं तकनीकी संचालन डॉ. प्रतिभा गुप्ता ( विभागाध्यक्ष-जैव प्रौद्योगिकी ) और डॉ. शीतल टोपनो ( विभागध्यक्ष- भूगोल ) ने संयुक्त रूप से किया । धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. निर्मल कुमार मंडल ने किया । वेबिनार में कुशल समाजसेवी सुश्री प्रियंका कुमारी, डॉ. संजय कुमार, डॉ. अशोक कुमार एवं अन्य व्याख्यातागण भी आभासी माध्यम द्वारा उपस्थित रहे ।

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