- एनटीपीसी और विस्थापित प्रभावित ग्रामीणों के बीच विवाद के समाधान के लिए गठित उच्च स्तरीय कमेटी की बैठक संपन्न
- कोयला मंत्रालय की अधिसूचना प्रस्तुत कर कहा, कानूनी रूप से भी कंपनी को बढ़ाना पड़ेगा मुआवजा तथा देनी होगी नौकरी
- एनटीपीसी के छूटे पसीने, लागू करना पड़ेगा भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013
आर एस प्रसाद मुन्ना
हजारीबाग।बड़कागांव में एनटीपीसी तथा ग्रामीणों के बीच 20 सुत्री मांग को लेकर विवादों के समाधान के लिए सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी की तीसरी बैठक आयुक्त कार्यालय हजारीबाग में आहूत की गई। बैठक में एनटीपीसी ने कहा कि कंपनी को कोल बैरिंग एक्ट के तहत कोल ब्लॉक आवंटित की गई है। इसलिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 लागू कर पाना संभव नहीं है।साथ ही कंपनी ने कहा की हमारे पास नौकरी का कोई प्रावधान नहीं है। मुआवजा बढ़ाना सरकार का काम है।सरकार के आदेशानुसार उपायुक्त हजारीबाग के द्वारा मुआवजा का निर्धारण किया जा चुका है।इसलिए मुआवजा बढ़ाने की कोई भी गुंजाइश कंपनी में नहीं है ।
ग्रामीणों को डरा धमका कर कोयला निकाला जाता रहा है
विधायक अंबा प्रसाद ने कहा कि पिछले कई वर्षों से बड़कागांव के लोग उचित मुआवजा तथा नौकरी सहित प्रदूषण जैसे कई गंभीर मुद्दों पर आंदोलन कर रहे हैं।कंपनी के द्वारा हर बार प्रशासन का सहारा लेकर ग्रामीणों को डरा धमका कर कोयला निकाला जाता रहा है।पूर्ववर्ती सरकार ने सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर बड़कागांव के किसानों तथा गरीबों का शोषण किया जो अब इस सरकार में नहीं चलने वाला है ।
एनटीपीसी को मुआवजा बढ़ाना पड़ेगा
एनटीपीसी को मुआवजा बढ़ाना पड़ेगा। नौकरी देना पड़ेगा और भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को भी लागू करना पड़ेगा।इसके लिए अगर मुझे शहीद भी होना पड़े तो भी मंजूर है।अब कंपनी अपनी मनमानी नहीं कर सकती है ।
विधायक ने कहा कि केन्द्रीय कोयला मंत्रालय के द्वारा 2019 में एक अधिसूचना जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि यदि 2015 से पूर्व मुआवजा का निर्धारण नहीं किया गया है। कंपनियों के द्वारा पूर्ण रूप से भूमि अधिग्रहण नहीं किया गया है।अथवा भूमि पर भौतिक कब्जा नहीं किया गया है अथवा पूर्ण रूप से मुआवजा का भुगतान नहीं किया गया है। तो भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 लागू करना पड़ेगा।उसी के अनुसार मुआवजा का भुगतान भी करना पड़ेगा ।
बडकागांव मे 2013 का अधिनियम को लागू करना पड़ेगा
कंपनी कहती है उसने कोल बीयरिंग एक्ट के तहत जमीन का अधिग्रहण किया है। पर उसी एक्ट के अनुसार मुआवजे का निर्धारण या तो ग्रामीणों के साथ एग्रीमेंट करके होगा नहीं तो केंद्र सरकार द्वारा गठित ट्रिब्यूनल के द्वारा। एनटीपीसी के द्वारा पकरी बरवाडीह कोल माइनिंग प्रोजेक्ट में उक्त दोनों का ही अनुपालन किए बिना संकल्प का हवाला देकर मुआवजा तय कर दिया गया जो कि नियमों के विरुद्ध है।इसलिए कंपनी के खुद के कोयला मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार एनटीपीसी को बडकागांव मे 2013 का अधिनियम को लागू करना पड़ेगा । यदि कंपनी केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय के आदेशों का पालन नहीं करती है तो हम संवैधानिक तरीके से सत्याग्रह धरना आंदोलन के साथ-साथ न्यायिक प्रक्रिया का भी सहारा लेंगे।हर हाल में मुआवजा बढ़ाना और नौकरी देना कंपनी को सुनिश्चित करना पड़ेगा ।
कंपनी नौकरी नहीं देती तो सभी विस्थापितों को कंपनी को 29000 रुपए प्रति महीने देना होगा
कंपनी आज खदान में नौकरी के बदले एनुटी देने का हवाला देती है।ये एनुटी के नाम पर कंपनी मात्र 3000 रुपए प्रति महीने देना चाहती है।जबकि आज की तारीख में राष्ट्रीय कोयला मजदूरी एग्रीमेंट के अनुसार कोयला कंपनी में न्यूनतम मजदूरी 29000 रुपए प्रति महीने होती है । इस प्रकार नियमतः यदि कंपनी नौकरी नहीं देती तो सभी विस्थापितों को कंपनी को 29000 रुपए प्रति महीने देना होगा ।
कंपनी अधिग्रहीत किए घर के बदले नया घर बनाने इत्यादि के लिए प्रति परिवार करीब 9 लाख रुपए देना चाहती है।जबकि पी०डबलूoडी की दर के अनुसार 15 लाख मात्र घर बनाने का होता है। उसमें 5 लाख पशु शेड, विस्थापन इत्यादि का खर्च मिला देने पर प्रति परिवार 20 लाख रुपए नियमतः देना होगा।
कंपनी ने सर्किल रेट का निर्धारण गलत किया है
एनटीपीसी का कहना है कि बड़कागांव का सर्किल रेट साढे तीन लाख है जिसका 4 गुना 14 लाख रुपया प्रति एकड़ होता है।पर वह 20 लाख रुपए प्रति एकड़ भुगतान कर रहा है जो कि 4 गुना से भी ज्यादा है। इस पर अम्बा प्रसाद ने कहा कि कंपनी ने सर्किल रेट का निर्धारण गलत किया है। सही सर्किल रेट लगाने पर और उसको आज को तारीख में रूपांतरित करने पर 2013 एक्ट के अनुसार कंपनी को कम से कम 35 – 50 लाख सिर्फ मुआवजा देना होगा।कंपनी जिस 20 लाख की बात करती है। उसमें कंपनी 3 साल का भत्ता इत्यादि भी जोड़ कर भ्रम फैला रही है । उन्होंने कहा कि अगर एनटीपीसी ने जनता की शिकायतों पर विचार करते हुए हमारी 20 सूत्री मांग लागू नहीं किया तो आर या पार की लड़ाई के लिए तैयार रहें ।
शीघ्र ही सरकार को रिपोर्ट जमा कर दी जायेगी
उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष सह आयुक्त हजारीबाग ने कहा है। विस्थापितों प्रभावितों द्वारा शिकायतें और विधायक अम्बा प्रसाद की तरफ से मुआवजा बढ़ाने और नौकरी देने इत्यादि के संबंध में अभिलेख के साथ जवाब और एनटीपीसी ने अपना पक्ष देते हुए जवाब समर्पित कर दिया है। शीघ्र ही सरकार को रिपोर्ट जमा कर दिया जाएगा।गौरतलब है कि एनटीपीसी के द्वारा अतिरिक्त जवाब देने के लिए और समय मांगा जा रहा है ।