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वैज्ञानिक चेतना के अग्रदूत डॉ दाभोलकर का शहादत दिवस मनाया गया

दाभोलकर जी ने अपने जीवन को अंधविश्वास उन्मूलन में लगा दिया

पलामू। वैज्ञानिक चेतना के अग्रदूत डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर का शहादत दिवस को राष्ट्रीय वैज्ञानिक चेतना दिवस के रूप में ज्ञान विज्ञान समिति पलामू एवं वैचारिक पत्रिका सुबह की धूप के संयुक्त तत्वाधान में ज्ञान विज्ञान समिति के जिला कार्यालय में मनाया गया ।इस अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार गोकुल बसंत एवं संचालन ज्ञान विज्ञान समिति के जिला सचिव अजय साहू के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत का विषय प्रवेश सोनू साहू के द्वारा किया गया। इस विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखें ।उपेंद्र कुमार मिश्रा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि 1984 से लेकर 2006 तक वैज्ञानिक चेतना का काफी फैलाव टेलीविजन के माध्यम से हुआ। लेकिन वर्तमान समय में जितने भी टेलीविजन वाले हैं।वह किसी न किसी समय अंधविश्वास को बढ़ावा देने के लिए अपने कार्यक्रमों के माध्यम से इस में लगे रहते हैं।

बच्चे में वैज्ञानिक चेतना का विकास करें

आज डॉक्टर दाभोलकर का वह बात हम विज्ञान का लाभ लेना चाहते हैं।लेकिन विजन नहीं है।हम विज्ञान के उत्पादन को लेते हैं। लेकिन वैज्ञानिक नजरिया नहीं अपनाते पूरी तरह से सटीक बैठता है। हरिवंश प्रभात ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज विज्ञान के विद्यार्थी को जो पढ़ते हैं। उन्हें समझना होगा बच्चे में वैज्ञानिक चेतना का विकास करें आस्था एवं रीति रिवाज भी समाज में फैला है।जिसका समाज में पहचान होता है।लेकिन इसमें भी वैज्ञानिक चेतना कैसे फैले यह देखने की जरूरत है। केडी सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि डॉ दाभोलकर ने अपने जीवन को अंधविश्वास उन्मूलन में लगा दिया था। जिस प्रकार से उन्होंने महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा उन्मूलन के लिए जिस प्रकार जिस समय शुरुआत उन्होंने किया हमारे समाज में छुआछूत उस समय चरम सीमा पर था। उन्होंने इसका खामियाजा भुगतना पड़ा कि समाज में अंधविश्वास फैलाने वाले लोगों के द्वारा उनकी हत्या कर दी गई।निश्चित रूप से आज भी समाज में अंधविश्वास का जड़ कमजोर नहीं हुआ है।

हमने वैज्ञानिक नजरिया नहीं सीखा

जिस प्रकार हमारे देश के सरकार ने इस को रोना के समय में थाली और ताली बजवाया वह कहीं ना कहीं अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाला है।वरिष्ठ पत्रकार गोकुल वसंत ने कहा कि डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर का सोच आज भी हमारे जीवन में दिशा देता हम भेड़ बन रहे हैं। सार्वजनिक संस्थान को कारपोरेट के हाथ में बेच बेचा जा रहा और हम चुपचाप देख रहे हैं।आदमी अपना भला नहीं कर सकता वैज्ञानिक चेतना का तर्क क्यों कैसे होता है।जब तक हम इन बातों को क्यों और कैसे को अपने नजरिया से नहीं देखें। हमने विज्ञान का प्रयोग भले ही सीख लिया हो लेकिन हमने वैज्ञानिक नजरिया नहीं सीखा।जिसे आज भी सीखने की जरूरत है।ज्ञान विज्ञान समिति के राज्य अध्यक्ष शिव शंकर प्रसाद जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज वैज्ञानिक चेतना दिवस के अवसर पर हम सभी को डॉक्टर दाभोलकर के बातों को समझने की जरूरत है।

अंधविश्वास गुलामी का प्रतीक है

उनका कहना था कि हम अपने समाज में कैसे विद्वेष फैलाते हैं सभी लोग सोचते हैं।हमारा धर्म आपके धर्म से बेहतरीन है।जिसका उदाहरण आसाराम बापू, राम रहीम, रामपाल, राधे मां, कृपालु महाराज हैं। जिन्होंने धर्मों का विश्लेषण अपने-अपने ढंग से किया और अंधविश्वास फैलाने का काम किया। जिसे आज हमें सभी को समझने की जरूरत है। अंधविश्वास गुलामी का प्रतीक है। शोषण उत्पीड़न का प्रतीक है। जिसे हम सभी को समझना होगा प्रत्येक बात का वैज्ञानिक नजरिया होना चाहिए क्यों और कैसे जब तक हम इस तर्क को नहीं रखेंगे।हम अंधविश्वास के जकड़न से बाहर नहीं निकल पाएंगे। इस वैचारिक गोष्टी में गोविंद प्रसाद, रंजय कुमार आदि लोगों ने भी अपने विचार रखें।

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