केंद्र सरकार की ओर से देश के किसानों को आर्थिक मदद के तौर पर सालाना 6,000 रुपये का भुगतान किया जाता है. उन्हें यह आर्थिक मदद प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत दी जाती है. लेकिन, क्या देश में खेती करने वाला हर व्यक्ति सरकार की इस योजना के तहत सालाना 6,000 रुपये पाने का हकदार है? अभी तक देश में खेती करने वाले ज्यादातर लोगों को इस बात का मुगालता है कि उन्हें भी सरकार की इस योजना का लाभ मिलना चाहिए. योजना का लाभ नहीं मिलने पर वे सरकार से नाराज भी होते हैं और कई जगहों पर इसकी शिकायत भी करते हैं, लेकिन सरकार ने इस योजना का लाभ पाने के लिए कुछ शर्तें भी तय कर रखी है. आइए, जानते हैं कि इस सरकारी योजना का लाभ पाने का हकदार कौन है?
क्या है पीएम किसान सम्मान निधि योजना?
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना केंद्र सरकार की ओर से किसानों को सीधे नकदी सहायता पहुंचाने वाली स्कीम है. इसके जरिए देश के किसानों को 3 किस्तों में सालाना 6,000 रुपये दिए जाते हैं. अब किसानों के खातों में इसकी छठी किस्त भी आने लगी है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के करीब 8.5 करोड़ किसानों को छठी किस्त के तौर पर 17,000 करोड़ रुपये जारी किए हैं. केंद्र सरकार की ओर से यह योजना दिसंबर 2018 में लागू की गयी थी. तब से लेकर अब तक किसानों के खातों में करीब 12,000 रुपये भेजे जा चुके हैं.
किसे नहीं मिलेगा योजना का लाभ?
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत सालाना 6,000 रुपये पाने के लिए सरकार ने कुछ शर्तें निर्धारित कर रखी हैं. पहली यह कि किसानों के नाम से जमीन होनी चाहिए. इसके साथ ही, यदि कोई व्यक्ति खेती करता है और उसके नाम से खेती योग्य जमीन नहीं है, तो उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा. वहीं, अगर उसके दादा या पिता के नाम से खेती की जमीन है और उसके खुद के नाम से नहीं है, तो वह सरकार की इस योजना का लाभ पाने का हकदार नहीं माना जाएगा.
- इसके साथ ही, अगर किसी व्यक्ति के नाम से खेती योग्य जमीन है, लेकिन वह किसी सरकारी विभाग में कर्मचारी है या अपने पद से रिटायर हो चुका हो, डॉक्टर, वकील, चार्टर अकाउंटेंट या कोई प्रोफेशनल है, तो उसे भी सरकार की इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा. इतना ही नहीं, यदि किसी व्यक्ति के पास खेती योग्य जमीन है और उसे हर महीने न्यूनतम 10,000 रुपये की पेंशन मिलती है, तो वह भी इसका लाभ नहीं पा सकेगा.
- इसके अलावा, खेती योग्य जमीन किसी के नाम से रजिस्टर्ड है, लेकिन वह इस जमीन का उपयोग खेती करने के बजाय किसी दूसरे काम के लिए कर रहा है, तो वह व्यक्ति भी सरकार की इस योजना के तहत सालाना 6,000 रुपये पाने का हकदार नहीं होगा.