नेता प्रतिपक्ष मामले में भाजपा की दबाव की रणनीति को झटका
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की भाजपा की दबाव की रणनीति को बड़ा झटका लगा है। पूरे प्रकरण में आया नया मोड़ भाजपा की उम्मीदों से अलग है, क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने दसवीं अनुसूची के दल बदल कानून के प्रावधानों के तहत बाबूलाल मरांडी समेत उनकी तत्कालीन पार्टी झाविमो के दोनों विधायकों प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को नोटिस भेजा है।
स्पष्ट है कि नेता प्रतिपक्ष का मामला तो अब कहीं रहा ही नहीं। स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष) के न्यायाधिकरण में अब दल बदल कानून के प्रावधानों के तहत इस मामले की सुनवाई होगी। यह सुनवाई कितनी लंबी चलती है और इसका परिणाम क्या आता है, यह पिछली विधानसभा में दिख चुका है। उस समय भाजपा में शामिल होने वाले झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के छह विधायकों के मामले पर फैसला होने में लगभग साढ़े चार साल लग गए थे।
बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग को लेकर भाजपा लगातार विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो पर दबाव बना रही थी। बजट सत्र में सदन को लंबे समय तक बाधित रखने के अलावा राजभवन से भी इस मामले में संज्ञान लेते हुए हस्तक्षेप की गुहार भाजपा ने लगाई थी। राजभवन ने विधानसभा अध्यक्ष को बुलावा भी भेजा था। स्पीकर ने राज्यपाल के समक्ष स्वयं उपस्थित होकर अपना पक्ष भी रखा था।
अब तक पूरे प्रकरण में भाजपा की दबाव की रणनीति भारी पड़ती दिख रही थी, लेकिन स्पीकर के इस नए दांव ने फिलहाल उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, क्योंकि विषय ही बदल गया है। अब बाबूलाल मरांडी और उनकी पार्टी का भाजपा में विलय कितना सही है, न्यायाधिकरण में सुनवाई इस पर होगी। ऐसी स्थिति में बाबूलाल के नेता प्रतिपक्ष बनने का मामला तो स्वत: ठंडे बस्ते में चला गया। बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष ने तीनों विधायकों को दल बदल कानून के तहत 17 सितंबर तक अपना पक्ष रखने को कहा है।
स्पीकर ने लिया है स्वत: संज्ञान
विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो का यह दावं भाजपा की उम्मीदों से इतर है। भाजपा को पूरी उम्मीद थी कि यह मामला दसवीं अनुसूची यानी दल-बदल का नहीं बनेगा। क्योंकि, बाबूलाल मरांडी और उनकी तत्कालीन पार्टी से अलग होकर कांग्रेस में विलय का निर्णय लेने वाले विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने दल बदल को लेकर स्पीकर के यहां कोई शिकायत नहीं की थी। विलय से किसी को एक दूसरे से कोई शिकायत भी नहीं थी। जाहिर है स्पीकर ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है, जो कि उनके कार्यक्षेत्र के भीतर आता है।