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भारत में चीन के ‘खेल’ पर लगेगा लगाम

 वीजा, एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स पर लगाए गए नए प्रतिबंध

नई दिल्ली –  भारत और चीन  दोनों देशों के बीच आंतरिक गतिरोध बना हुआ है। चीन लगातार ऐसी हरकतें कर रहा है जिससे दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बढ़े। भारत और चीन के बीच 15 जून को सैन्य संघर्ष हुआ जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए। भारतीय जवानों ने चीन सैनिकों को माकूल जवाब दिया और शहीद जवानों की शहादत का बदला लिया। अब भारत चीन के खिलाफ एक और बड़ा कदम उठाने जा रहा है।

वीजा को लेकर प्रतिबंध
अब भारत चीन वीजा को लेकर एक्सट्रा जांच और स्थानीय विश्वविद्यालयों के साथ बीजिंग कनेक्शन की जांच कर रहा है। भारत अब चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए उसको चौतरफा घेर रहा है। मीडिया में नाम न बताने की शर्त में वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि विदेश मंत्रालय ने फैसला लिया कि चीनी व्यापारियों, शिक्षाविदों, उद्योग विशेषज्ञों और वकालत समूहों के लिए वीजा को पूर्व सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता होगी।

अधिकारी ने किया खुलासा
एक अधिकारी ने कहा कि चीनी संस्थानों के साथ भारतीय विश्वविद्यालयों की गतिविधियों में अब भारी रूकावट आने की पूरी संभावना है। सरकार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय सहित अन्य शैक्षणिक संस्थानों के बीच हस्ताक्षर किए गए 54 ज्ञापनों की समीक्षा कर रही है। इसके साथ ही अन्यआधिकारिक चीनी भाषा प्रशिक्षण कार्यालय के लिंक की भी जांच हो रही है, जिसे हनबन के रूप में जाना जाता है, जो दुनिया भर में कन्फ्यूशियस संस्थान चलाता है।

चीनी संस्थानों के साथ गठजोड़ बंद होने की संभावना
अधिकारियों ने कहा कि मंदारिन भाषा के पाठ्यक्रमों को छोड़कर, चीनी संस्थानों के साथ गठजोड़ बंद होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि संस्थानों का इस्तेमाल नीति निर्माताओं, थिंक टैंक, राजनीतिक दलों, कॉरपोरेट्स और शिक्षाविदों को प्रभावित करने के लिए किया जाता है।

एफबीआई ने चेताया था
खास बात ये है कि भारत ऐसा पहला देश नहीं है जोकि चीन पर चाबुक कस रहा है। इससे पहले अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ऐसे कदम उठा चुके हैं। जुलाई की शुरुआत में ही अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआई के डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने चीन को अमेरिका के लिए सबसे बड़ा ‘खतरा’ बताया था। उससे पहले 30 जून को अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन यानी एफसीसी ने भी चीन की हुवावे और जेडटीई को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ‘खतरा’ बताया था।

अमेरिका पहले ही लगा चुका है लगाम
जुलाई में ही अमेरिका ने टेक्सास के ह्यूस्टन स्थित चीनी कॉन्सुलेट को बंद करने का आदेश दे दिया था। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि चीन ‘इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी’ चुरा रहा था। बदले में चीन ने भी चेंगड़ू स्थित अमेरिकी कॉन्सुलेट को बंद कर दिया। अमेरिका ने 7 जुलाई को उन चीनी अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया, जो अमेरिकी पत्रकार, टूरिस्ट्स, डिप्लोमैट्स और अफसरों को तिब्बत जाने से रोकने के लिए जिम्मेदार थे। जवाब में चीन ने भी कुछ अमेरिकी अफसरों पर वीजा प्रतिबंध लगा दिया।

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