- पद्श्री रामदयाल मुण्डा की जयन्ती
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने महान शिक्षाविद, कलाकार पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा जी की जयंती पर उन्हें नमन किया है। मुख्यमंत्री ने कहा विश्व पटल पर आदिवासी संस्कृति, गौरव और दर्शन को पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा जी ने मुखर किया था। ‘सेन गी सुसुन, काजी गी दुरंग, डूरी गी दुमंग- आदिवासियों का चलना ही नृत्य, बोलना ही गीत और शरीर ही मांदर है’ को मुंडा जी ने चरितार्थ किया था।
केन्द्रीय सरना समिति ने माल्यार्पण किया
रविवार को केन्द्रीय सरना समिति के द्वारा पद्श्री रामदयाल मुण्डा के 81वाँ जयन्ती के अवसर पर केन्द्रीय सरना समिति के प्रधान कार्यालय लाईन टैंक रोड़ राँची नगर निगम के समीप उनके चित्र पर माल्यार्पण किया गया।
केन्द्रीय अध्यक्ष श्री बबलू मुण्डा ने कहा की पद्श्री डॉ० रामदयाल मुण्डा ने शिक्षा,कला एंव संस्कृति के क्षेत्र में झारखण्ड को एक अलग पहचान दिलाया जो आदिवासी समाज के लिए गर्व की बात है। श्री मुंडा ने कहा कि रामदयाल मुंडा जी ने कहा की जो नाची शो बाची उन्हें की राह में समस्त झारखंडयो को चलने की जरूरत है।
महासचिव श्री कृष्णकांत टोप्पो ने कहा की बहू आयामी प्रतिभा पद्श्री डॉ० रामदयाल मुण्डा कुट कुटकर भरी थी जो उनके गुजर जाने के बाद अभी तक किसी में नही देखी गयी है।लोगो की उनके जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।
सचिव डब्लू मुण्डा ने कहा की रामदयाल मुण्डा ने अपनी पारंम्पारिक सांस्कृति और अपने जीवन में जे नाची से बाची के आदर्श को बारबार दोहराया।एक सफल शिक्षक और संस्था निर्माण के रूप में अपने काम के माध्यम से आदिवासी समुदायो के उत्थान के लिए उन्होने आजीवन अथक श्रम संघर्ष और अतूलनीय योगदान किया ।
लोग शामिल थे
मौके पर कार्यकारी अध्यक्ष शोभा कच्छप,सचिव अरूण पाहन,अमर मुण्डा,उपाध्यक्ष किरण,अंजू टोप्पो, तिर्की,कार्यकारी सदस्य अनिल मुण्डा,सुभाष मुण्डा,रवि मुण्डा इत्यादि लोग शामिल थे।