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22 जिलों में ई-एफआईआर (e-FIR) थाना सृजन से संबंधित प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने दी मंजूरी

  • मंत्रिपरिषद की स्वीकृति हेतु रखा जाएगा
  • ई-एफआईआर से आम नागरिकों को बिना थाना गए पोर्टल/ मोबाइल एप्प के माध्यम से ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराने की सुविधा उपलब्ध होगी

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने रामगढ़ और खूंटी जिले को छोड़कर शेष 22 जिलों में ई-एफआईआर (e-FIR) थाना सृजन से संबंधित प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है. इस संलेख को मंत्रिपरिषद की स्वीकृति हेतु रखा जाएगा. ई-एफआईआर थानों के सृजन का आधार आम नागरिकों को बिना थाना गए पोर्टल/ मोबाइल एप्प के माध्यम से ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराने की सुविधा उपलब्ध कराने से है. ई- एफआईआऱ के क्रियान्वित होने से आम नागरिकों को वाहन चोरी, विभिन्न प्रकार की संपत्ति चोरी, सेंधमारी, महिला एवं नाबालिगों से संबंधित अपराध. नाबालिगों की गुमशुदगी से संबंधित कांड जिसमें अभियुक्त अज्ञात हो, ऐसे मामलों में ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराने की सुविधा से अनावश्यक कठिनाई से निजात मिलेगी. ई-एफआईआर की सुविधा से नागरिकों और पुलिस दोनों के बहुमूल्य समय और संसाधनों की बचत होगी.

ई-एफआईआऱ दर्ज कराने की प्रक्रिया

जिस व्यक्ति को किसी कांड में ई-एफआईआऱ दर्ज कहाना है, उन्हें समाधान पोर्टल पर लॉग इन कर अपना आवेदन ई-साइन या डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से समर्पित करना होगा, तभी आवेदन स्वीकार किया जाएगा. आम नागरिकों के समाधान पोर्टल या मोबाइल एप्प के माध्यम से वाहन चोरी, अन्य विविध संपत्ति की चोरी, सेंधमारी और नाबालिगों की गुमशुदगी जिसमें अभियुक्त अज्ञात हो से संबंधित प्राप्त शिकायतों के आधार पर थाना प्रभारी ई-एफआईआऱ संबंधित धाराओं के तहत कांड दर्ज कर जिस स्थानीय थाना कार्य क्षेत्र में घटना हुई है उसके पुलिस पदाधिकारी को अनुसंधान हेतु नामित करेंगे. इसके अलावा पुलिस महानिदेशक अथवा पुलिस महानिरीक्षक स्तर से समीक्षोपरांत प्रतीत हो तो उपरोक्त अंकित प्रकृति के कांडों के अलावे अन्य विविध कांडों जिनकी प्रकृति ई-एफआईआऱ मानकों के तहत हो, उन्हें अपने स्तर से ई-एफआईआऱ के तहत सूचीबद्ध करने हेतु अलग से आदेश जारी कर सकते हैं.

प्राथमिकी की प्रति वादी को प्रेषित किया जाएगा

ई-एफआईआऱ को लेकर थाना प्रभारी खुद डिजिटली सिग्नेचर प्राथमिकी की प्रति वादी के साथ सभी संबंधित अधिष्ठानों जैसे- जिस थाना क्षेत्र में घटना हुई हो उसके थाना प्रभारी, उक्त थाना के पर्यवेक्षण पदाधिकारी, संबंधित कोर्ट, बीमा कंपनी ( अप्लीकेबल होने पर), सभी पीसीआर, पुलिस अधीक्षक, एससीआरबी एवं एनसीआरबी को इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिट / ई-मेल के माध्यम से प्रेषित करेंगे.

इलेक्ट्रॉनिक मॉड्यूल में होगा अनुसंधान, केस डायरी की प्रविष्टि भी इलेक्ट्रॉनिक फॉरमेट में

अनुसंधानकर्ता द्वारा कांड का अनुसंधान कार्य पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक मॉड्यूल में किया जाएगा. अनुसंधान के क्रम में की गई कार्रवाई एवं केस डायरी की प्रविष्टि भी इलेक्ट्रॉनिक फॉरमेट में होगी. साथ ही जिन कांडों में प्राथमिकी दर्ज होने से 30 दिनों के अंदर उद्भेदन नहीं हो पाए तो संबंधित अनुसंधानकर्ता ई-एफआईआऱ थाना प्रभारी के माध्यम से उक्त अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय में समर्पित करेंगे.

इन परिस्थितियों में ई-एफआईआऱ की नहीं होगी सुविधा

ई-एफआईआऱ के तहत उल्लेखित अपराध की घटना संबंधित जिले या झारखंड राज्य की सीमा के बाहर घटित होने, अभियुक्त का संदिग्ध ज्ञात हो और यदि अपराध की घटना में कोई जख्मी हुआ हो तो इन परिस्थितियों में ई-एफआईआऱ की सुविधा निषेध होगी. इस व्यवस्था के परिचालन से वर्तमान में ई-एफआईआऱ थानों के अतिरिक्त अन्य थानों में प्राथमिकी दर्ज करने तथा कांडों की प्राथमिकी दर्ज करने तथा कांडों के अनुसंधान की प्रक्रिया किसी प्रकार से प्रभावित नहीं होगी.

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