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पांच सौ कोल परियोजनाओं में 1.22 लाख करोड़ का निवेश होगा : कोयला मंत्री

स्टेक होल्डर्स मीट

वित्तीय वर्ष 2023-24 तक एक बिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने के लिए कोयला निकासी, इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रोजेक्ट डेवलपमेंट, एक्सप्लोरेशन और क्लीन कोल टेक्नॉलजी से जुड़ी लगभग 500 परियोजनाओं में कोल इंडिया 1.22 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश करेगी। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को कोल इंडिया की ओर से आयोजित स्टेक होल्डर्स मीट को संबोधित करते हुए यह कहा। वीसी के माध्यम से मीटिंग आयोजित की गई।

1893 करोड़ एक्सप्लोरेशन कार्यों में खर्च करने की योजना

1.22 लाख करोड़ से अधिक के प्रस्तावित निवेश में से कोल इंडिया की वित्तीय वर्ष 23-24 तक 32,696 करोड़ रुपए कोयला निकासी, 25,117 करोड़ रुपए माइन इंफ्रास्ट्रक्चर, 29461 करोड़ रुपए प्रोजेक्ट डेवलपमेंट, 32,199 करोड़ रुपए डाइवर्सीफिकेशन (विविधीकरण) एवं क्लीन कोल टेक्नॉलजी, 1495 करोड़ रुपए सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर और 1893 करोड़ एक्सप्लोरेशन कार्यों में खर्च करने की योजना है।

दो चरणों में लगभग 14,200 करोड़ रुपए का निवेश करेगी

कंपनी अपनी 49 फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजनाओं में दो चरणों में लगभग 14,200 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी पिटहेड्स से डिस्पैच प्वाइंट तक कोयला परिवहन की व्यवस्था है। यह प्रणाली कोयला परिवहन में कार्यकुशलता बढ़ाने और दो स्थानों के बीच कोयले के सड़क परिवहन की मौजूदा व्यवस्था को कंप्यूटर आधारित लोडिंग व्यवस्था में परिवर्तित करने के लिए विकसित की जा रही है। मीटिंग में कोयला सचिव, कोल इंडिया चेयरमैन, सभी अनुषंगी कंपनियों के सीएमडी भी शामिल थे।

प्रमुख बातें जो मंत्री ने कही
15 ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स की एमडीओ मोड से संचालित करने के लिए पहचान की है। 34,600 करोड़ रुपए का निवेश होगा, जिसमें से 17,000 करोड़ रुपए का निवेश वित्तीय वर्ष 2023-24 तक होने की संभावना है
रेलवे से जुड़े क्षेत्रों जैसे मुख्य रेल लाइनों के विकास (लगभग 13,000 करोड़ रुपए), रेलवे साइडिंग (लगभग 3,100 करोड़ रुपए) और अपने खुद के रेलवे वैगन खरीदने (675 करोड़ रुपए) जैसे क्षेत्रों में में वित्तीय वर्ष 2023-24 तक कुल 16,500 करोड़ रुपए का निवेश करेगी
कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी कंपनियां विभिन्न प्रकार की सेवाओं में हर साल लगभग 30,000 करोड़ रुपए खर्च करती हैं।  इस क्षेत्र में अधिक से अधिक पारदर्शिता लाने और ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा देने के लिए बदलाव लाया जा रहा है

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