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कोरोना की रिकॉर्डतोड़ रफ्तार, रूस में बनी वैक्सीन को लाने के प्लान में जुटी मोदी सरकार

  • संक्रमण मामलों के लिहाज से भारत अब दुनिया का दूसरे सर्वाधिक प्रभावित देश
  • रूस की कोरोना वैक्सीन की आपूर्ती और उत्पादन को लेकर भारत और रूस के बीच कई स्तरों पर बातचीत

भारत में कोरोनावायरस हर रोज अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है. कोरोना संक्रमण मामलों के लिहाज से भारत अब दुनिया का दूसरे सर्वाधिक प्रभावित देश बन चुका है. देश में कोरोना की तेज रफ्तार के बीच रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर भले ही दुनियाभर में शक हो लेकिन भारत अपने दोस्त के साथ खड़ा है. और यही कारण है कि हाल ही में लॉन्च की गई रूस की कोरोना वैक्सीन की आपूर्ती और उत्पादन को लेकर भारत और रूस के बीच कई स्तरों पर बातचीत चल रही है.

. भारत सरकार फिलहाल इसका गहनता से अध्ययन कर रही है

यह जानकारी भारत में रूस के राजदूत निकोले कुदाशेव दिया है. बता दें कि 11 अगस्त को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन को लॉन्च किया था. इस वैक्सीन का नाम स्पूतनिक वी (Sputnik V) है. टीओआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से लिखा है कि रूस ने भारत के साथ स्पूतनिक वी को लेकर सहयोग के तरीके साझा किए हैं. भारत सरकार फिलहाल इसका गहनता से अध्ययन कर रही है.

रूस के राजदूत कुदाशेव ने कहा कि कुछ जरूरी तकनीकी प्रक्रियाओं के बाद वैक्सीन बड़े पैमाने पर (अन्य देशों में भी) इस्तेमाल की जा सकेगी. माना जा रहा है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर के हालिया रूस दौरे के दौरान भी कोरोना के टीके को लेकर चर्चा होगी. इससे पहले एससीओ की बैठक के लिए मॉस्को पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैक्सीन बनाने के लिए रूस को बधाई दी थी.

दुनियाभर की करीब 60% वैक्सीन भारत में बनाई जा रही हैं

तब रूस के डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के सीईओ किरिल दिमित्रीव ने भी वैक्सीन उत्पादन के लिए भारत के सहयोग को अहम बताया है. उन्होंने कहा कि दुनियाभर की करीब 60% वैक्सीन भारत में बनाई जा रही हैं. हम भारत सरकार, संबंधित मंत्रालयों और उत्पादकों से स्थानीय उत्पादन पर बात कर रहे हैं. अमेरिका समेत दूसरे देशों ने कहा था कि स्टडी का डेटा उसे सुरक्षित और असरदार करार देने के लिए पर्याप्त नहीं है.

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