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सिमडेगा : आजादी के 73 वर्ष बाद भी ढीबरी युग में जीवन बिताने को बेबश गांव

  • तेज चकाचौंध भरी 21वीं सदी में सिमडेगा के 19 वीं सदी का गांव

खूँटी । आज हमारा देश आजादी के 74वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। लेकिन आज भी सिमडेगा के कई गांँवों की तस्वीर नहीं बदल सकी है। यहाँ कई ऐसे गांव है जहाँ आज भी जीवन मुलभूत सुविधाओं से वंचित है। वो दर्द वो बदहाली के मंज़र नहीं बदले बस्ती में अँधेरे से भरे घर नहीं बदले। हमने तो आजादी का महज़ ज़िक्र सुना है। इस गाँव की तो, आज तक किस्मत नहीं बदले। ये दर्द ये तस्वीर महज फ़साना नहीं आज सिमडेगा जिला के बहुत से गांवों की हकीकत है। बानो प्रखंड से महज एक किलोमीटर सदाबहार टोली, बंदा टोली, पतराटोली, ऐला गिरजाटोली आदि गाँवों में आज तक बिजली नहीं पहुँच पायी है, जबकि देश की आजादी के 73 वर्ष और प्रदेश अलग हुए बीस वर्ष बीत चुके हैं। लेकिन आज तक बिजली का नसीब इन गाँव क्षेत्रों को नहीं हुआ है। अभी वर्तमान परिदृश्य में गांँवों में पोल तो वर्षों पहले लगे हैं। लेकिन विभाग ने इसपर तार लगाना ही भूल गए।


ग्रामीणों ने कहा कि प्रखंड मुख्यालय के पास होते हुए भी हमलोग बिजली के लिए तरस रहे हैं। ये दुर्भाग्य है, आज गांव के बच्चे ऑनलाइन क्लास नहीं कर पा रहे हैं। हमलोग मोबाइल तो रखे हैं लेकिन बानो जाकर पैसे देकर चार्ज करवाना पड़ता है। गाँव एक बुजुर्ग मतियस ने तो कहा कि हमलोग का देश आजाद है लेकिन हमलोग को आजादी की रोशनी नहीं देखी है। दूर से बिजली दिखता है लेकिन पता नहीं आज तक हमलोग के पास क्यों नहीं पहुँचा है। गांव वालों का दर्द वहां गाड़े गये तार विहिन पोल और बढ़ा देते है। गांव की महिला सावित्री ने कहा कि लगता है पोल देखते-देखते कहीं हमलोग बुढ़े जाएंगे पर हमलोगों को बिजली नहीं मिल सकेगी।
ये तो महज बानगी है कमोबेश यही हाल बानो के दर्जनों गाँव का है। कहीं पोल तार है तो बिजली नहीं, कहीं पोल लगे तो गिर गए, कहीं पोल तक गायब हैं। कहीं सब ठीक है मगर ट्रांसफार्मर वर्षों से जले पड़े है। मगर इस तरफ किसी ने सुन नहीं ली। ये हमारे जिले के वो इलाके हैं जो ग्रामीण विद्युतीकरण की हकीकत बयां करते हैं। बानो में बिजली का काम कर रहे विजय कंस्ट्रक्शन के लोगों से पूछने पर गोलमोल जवाब मिलता है कि अगले महीने हो जाएगा। ये जवाब कई महीनों से है। लेकिन उनका अगला महीना कब आएगा ये वो नहीं बताते है।

जांच करवाएंगे कि आखिर बिज़ली कार्य में देरी क्यों हो रही है
गांँवों तक नहीं पहुँच सकी बिजली के विषय पर बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता विश्वेश्वर मरांडी से जब बात हुई तो उन्होंने कहा कि वे एक बार अपने स्तर पर जांच करवाएंगे कि आखिर बिज़ली कार्य में देरी क्यों हो रही है । उनका प्रयास होगा कि जल्द वहाँ बिजली मिल जाए।
ग्रामीण भी अब आश्वासनों से उबरने चुके है। अब सभी ग्रामीणों की आस जिले के उपायुक्त सुशांत गौरव पर टिकी है। ग्रामीणों ने कहा कि अब बड़े साहब ही हमारा दुख दूर करेंगे। ” सभी के प्रयास से इन गाँवों की तस्वीर बदल जाए तो शायद इन गांवों के लोगों को आजादी के असली मायने मिल जाएँ। हंगामा खड़ा करना हमारा मकसद नहीं, हमारा प्रयास है कि बदहाल सुरत बदलनी चाहिए”।

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