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हज़रत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया गया मोहर्रम

मुहर्रम में युद्ध करना हराम माना जाता है

चरही(हजारीबाग)। जिला के चुरचू प्रखंड के इन्द्रा चिचीकला बहेरा बासाडीह हेन्देगढा हरहद कजरी जरबा मे हज़रत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया गया मोहर्रम। इस महीने में दुनिया भर मे शहीदों की याद में सभाएं होती हैं और जुलूस निकाले जाते हैं। नए इस्लामी साल की शुरुआत मुहर्रम से होती है।मुहर्रम का महीना इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है। इस महीने की बहुत अहमियत समझी जाती है।इस माह के 10वें दिन आशुरा मनाया जाता है। यह इस्लाम मजहब का प्रमुख महीना है। इस महीने में दुनिया भर में कर्बला के शहीदों की याद में सभाएं होती हैं। जुलूस निकाले जाते हैं।मुहर्रम अंतिम पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब प्रभात हजरत साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में होता है।दुनिया भर में मुसलमान मुहर्रम की 9 और 10 तारीख को रोज़ा रखते हैं। मस्जिदों, घरों में इबादत करते हैं।
इसलिए मनाते हैं। मुहर्रम कर्बला जहां यज़ीद मुसलमानों का ख़लीफ़ा बन बैठा था। वह पूरे अरब में अपना वर्चस्व फैलाना चाहता था। जिसके लिए उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती इमाम हुसैन थे, जो किसी भी परिस्थिति में यज़ीद के आगे झुकने को तैयार नहीं थे। इससे यज़ीद के अत्याचार बढ़ने लगे। ऐसे में इमाम हुसैन अपने परिवार और साथियों के साथ मदीना से इराक के शहर कूफा जाने लगे।मगर रास्ते में यज़ीद की सेना ने कर्बला के रेगिस्तान में इमाम हुसैन के कारवां को रोका और फिर यहां इमाम हुसैन की शहादत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी। उस दिन से मुहर्रम इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत के रूप में  मनाया गया।

 

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