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डिवाइन ओंकार मिशन स्कूल में संस्कृत दिवस के मौके पर कार्यक्रम का आयोजन

रामगढ़। संस्कृत सप्ताह के अवसर पर आज डिवाइन ओंकार मिशन विद्यालय में संस्कृत दिवस का आयोजन संस्कृत भारती और डिवाइन ओंकार मिशन के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।जिसकी अध्यक्षता विद्यालय के सचिव राजेश नागी ने किया जबकि कार्यक्रम का संचालन विद्यालय की शिक्षिका अनिता कुमारी ने की इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में डॉक्टर सुनील कुमार कश्यप संस्कृत भारती जिला संयोजक उत्क्रमित मध्य विद्यालय गोविंदपुर मांडू के शिक्षक संस्कृत दिवस को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृत के शरीर की सभी तंत्रिकाओं जागृत होती है।इसलिए प्रत्येक दिन हम शिक्षकों का दायित्व बनता है कि बच्चों को पठन-पाठन शुद्ध रूप से संस्कृत के माध्यम से कराएं।

प्रतिदिन मंत्रों का उच्चारण सुबह शाम करवाएं नासा ने भी संस्कृत को स्वीकार किया है के प्रत्येक दिन अगर संस्कृत का शुद्ध उच्चारण करते हैं तो उस शरीर में किसी भी तरह का विकार अगर रहता भी है तो उच्चारण मात्र से उसका परिष्कार हो जाता है।भारतीय संस्कृति को अगर जानना समझना है तो संस्कृत पढ़ना नितांत जरूरी है संस्कृत के जाने पढ़े बिना भारतीय संस्कृत साहित्य के विशाल भंडार को अस्पष्ट भी नहीं कर सकते हैं। आज विद्यालय परिसर में संस्कृत में सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत छात्र छात्रों ने किया जिससे दर्शकों के दिल को मोह लिया सभी कार्यक्रम आकर्षक एवं मनमोहक है। उसने संस्कृत नाटिका संस्कृत नृत्य संस्कृत श्लोक संस्कृत भाषण आदि आकर्षक प्रस्तुति करने पर क्रमशः प्रथम द्वितीय तृतीय प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को संस्कृत भारती के डॉक्टर सुनील कुमार कश्यप और विद्यालय के सचिव राजेश ने पुरस्कृत कर उनके हौसला तो बढ़ाया। इस अवसर पर रामगढ़ जिले के विभिन्न विद्यालयों महाविद्यालयों के संस्कृत के विद्वान शिक्षक के अलावे प्रबुद्ध नागरिक भी उपस्थित रहे। अतिथि के रूप में डीएवी के अवकाश प्राप्त शिक्षक ओपी झा गांधी स्मारक प्लस टू उच्च विद्यालय के अध्यक्ष बद्री विश्वकर्मा उपस्थित रहे।उनमें विद्यालय के शिक्षक राजेश की माता सुरेंद्र देवी, विद्यालय की शिक्षिका नीतू नागिन,पी महानता, रोशन कुमार प्रजापति गुड़िया मुंडा मणिलाल, रामचरण महतो अतिथियों का स्वागत विद्यालय के सचिव राजेश नागिन किया और संस्कृत की भूरी भूरी प्रशंसा की।साथ ही साथ नागी ने कहा भारतीय संस्कृत संस्कृत में ही निहित है। ऐसे कार्यक्रम सभी विद्यालयों में होनी चाहिए। इस तरह कार्यक्रम करने से संस्कृत निश्चित भारत के प्रमुख बनेगा और बोलचाल की भाषा होगी।

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