- सीमावर्ती गांवों के लोग भी सेना के साथ खुलकर खड़े हैं
लद्दाख में भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चल रही तनातनी के बीच सीमावर्ती गांवों के लोग भी सेना के साथ खुलकर खड़े हैं. पैंगोंग झील के पास ऊंची पहाड़ियों पर सेना ने तैनाती बढ़ाई है. आम लोगों ने बगैर किसी मेहनताने के सेना की मदद की. लोगों ने दुर्गम इलाके में सैन्य साजो-सामान पहुंचाने में मदद की.
लद्दाख में लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल पर भारतीय सेना ने कई अहम चोटियों पर अपनी तैनाती बढ़ा दी है. इन दुर्गम पहाड़ों पर पहुंचने का रास्ता काफी कठिन है. यहां तक पहुंचने के लिए पैदल ही सफर करना होता है. ऐसे में सैन्य साजो सामान पहुंचाना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं. ऐसे में सरहद के करीब स्थित गांवों के लोग आगे आए. ग्रामीण सैन्य साजो सामान दुर्गम चोटियों तक पहुंचाने में सेना की मदद कर रहे हैं.
भारत और चीन के बीच साल 1962 के युद्ध के गवाह रहे चुशूल घाटी इलाके में भी सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी गई है. यह वही इलाका है, जहां 1962 में भारतीय सेना के जांबाजों को हवाई रास्ते से पहुंचाया गया था. इसकी याद में यहां कुमाऊं रेजेंगला मेमोरियल भी बनवाया गया है.
गौरतलब है कि चीन के साथ तनाव इस समय चरम पर है. एक तरफ रूस में चीन के रक्षा मंत्री ने भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की. वहीं दूसरी तरफ चीनी सेना ने एलएसी पर भारतीय चौकियों को निशाना बनाकर फायरिंग की. भारतीय सेना ने भी चीनी फायरिंग का करारा जवाब देते हुए जवाबी फायरिंग की.