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भू-माफियाओं व उनके सरकारी संरक्षकों को ‘हिम्मत’ देने की जुगत में हेमन्त सरकार : कुणाल

  • राज्य में भू माफियाओं की बढ़ती आतंक पर भाजपा ने साधा निशाना

रांची। जल जंगल ज़मीन के रक्षा के वादों को लेकर राज्य के सत्ता पर क़ाबिज़ हुई महागठबंधन की सरकार ने अब ऐसा नियम बनाने की तैयारी कर ली है। जिससे ज़मीन से जुड़े हुए मामलों में जो भ्रष्टाचार है वह बढ़ेगा और जो भ्रष्टाचारी हैं।उनके ख़िलाफ़ किसी भी न्यायालय में क्रिमिनल गया सिविल केस दर्ज नहीं हो पाएगा। इस विधेयक के विरोध में भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड सरकार पर ज़ोरदार हमला बोला है। प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई में यूपीए गठबंधन की सरकार राज्य में भू-माफियाओं और उनके सहयोगी अधिकारियों, कर्मियों को सरकारी हिम्मत देने की अंतिम तैयारियों में जुटी है। भाजपा ने कहा कि सरकार का यह प्रयास अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित करने वाला कदम है। भाजपा के विरोध ने इस बिल के बहाने झारखंड सरकार की भ्रष्टाचार पर ज़ीरों टॉलरेंस नीति को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है।

राज्य की जनता के साथ धोखा है और उनके अधिकारों का हनन है

विदित हो कि झारखंड लैंड म्यूटैशन एक्ट 2020 जिसका प्रारूप बिहार लैंड म्यूटेशन एक्ट 2011 से लिया गया है उसमें म्यूटेशन, जमाबंदी रद्द, किसानों की खाता पुस्तिका जैसे मामलों में अगर कोई पदाधिकारी गड़बड़ी करता है तो उसके ख़िलाफ़ किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो पाएगी। बिहार सरकार ने जो प्रारूप बनाया है उसमें ये प्रावधान किए गए हैं कि ज़मीन संबंधी मामलों में गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित अंचल अधिकारी या अन्य पदाधिकारियों पर कार्रवाई हो पाएगी। लेकिन झारखंड में राज्य सरकार ने ऐसे तमाम पदाधिकारियों को बचाने के लिए क़ानून बनाया है। अब राज्य की जनता ऐसे पदाधिकारियों की मनमानी के सामने बेबस हो जाएगी क्योंकि किसी भी न्यायालय के पास ऐसे पदाधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का अधिकार समाप्त हो जाएगा जो सीधे तौर पर राज्य की जनता के साथ धोखा है और उनके अधिकारों का हनन है।

अविलंब इस बिल को निरस्त करें

प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार को हर बात पर दोष देने वाली महागठबंधन की सरकार यह स्पष्ट करे कि पिछली सरकार में ‘रेवेन्यू प्रोटेक्शन एक्ट’ के नाम पर लाए गए इसी एक्ट को कैबिनेट ने दो-दो बार रिजेक्ट किया था चूंकि ये जनता के अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकता था। भाजपा ने सवाल किया कि किस मजबूरी में और किन लोगों के दबाव में महागठबंधन की सरकार ने ऐसे एक्ट को कैबिनेट से स्वीकृति दी है। मुख्यमंत्री को यह बात राज्य की जनता के सामने स्पष्ट करनी चाहिए। भारतीय जनता पार्टी ने सूबे के मुख्यमंत्री से यह माँग किया की अविलंब इस बिल को निरस्त करें और राज्य की जनता के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करें।

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