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21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में कदम नई शिक्षा नीति : कोविंद

नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि नई शिक्षा नीति का मकसद समावेशी और उत्कृष्टता के दोहरे उद्देश्य को हासिल करके 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करना है. राष्ट्रपति ने ‘उच्च शिक्षा में नई शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन’ विषय पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह नीति सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके एक समतामूलक और जीवंत रूप से शिक्षित समाज विकसित करने की सोच का निर्धारण करती है.

भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने की अधिक जिम्मेदारी है

कोविंद ने कहा, ‘उच्च शिक्षण संस्थानों भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने की अधिक जिम्मेदारी है. अन्य संस्थान इन संस्थानों द्वारा स्थापित गुणवत्ता मानकों का पालन करेंगे.’ उन्होंने कहा कि नयी नीति के मूल सिद्धांतों में तार्किक निर्णय लेने तथा नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए रचनात्मकता एवं महत्वपूर्ण दृष्टिकोण को समाहित करना शामिल है.

शिक्षकों और छात्रों के बीच मुक्त संचार की अवधारणा पर जोर दिया

राष्ट्रपति ने कहा, ‘एनईपी महत्वपूर्ण दृष्टिकोण और जिज्ञासा की भावना को प्रोत्साहित करने का प्रयास भी करती है. नीति के प्रभावी कार्यान्वयन से भारत की शिक्षा के महान केंद्रों तक्षशिला और नालंदा के समय के गौरव को हासिल किया जा सकता है.’ कोविंद ने ‘भगवत गीता’ और कृष्ण-अर्जुन संवाद का जिक्र करते हुए शिक्षकों और छात्रों के बीच मुक्त संचार की अवधारणा पर जोर दिया.

उन्होंने कहा, ‘नई शिक्षा नीति का मकसद समावेशी और उत्कृष्टता के दोहरे उद्देश्य हासिल करके 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करना है. यह नीति सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके एक समतामूलक और जीवंत ज्ञान प्राप्त समाज विकसित करने की सोच का निर्धारण करती है.’

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