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अपनी नतिनी का नाम स्कूल से कटा तो पलटे झारखंड के शिक्षामंत्री, काउंटर पर खड़ा होकर जमा किया फीस

  • अप्रैल से सितंबर 2020 तक प्रत्येक महीने  के 3,800 रुपए के हिसाब से 22,800 रुपए शिक्षण शुल्क जमा किया

बोकारो  : कोरोना काल में स्कूल नहीं तो शुल्क नही जैसी बातों का झंडा बुलंद करने वाले झारखंड के स्कूली शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को अब निजी स्कूलों और बच्चों के अभिभावकों की समस्या पूरी तरह समझ में आ गई है। ऐसा तब हुआ जब शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को इस बात की सूचना मिली कि उनकी नतिनी रिया जो कि चास डीपीएस की छात्रा है उसका नाम ऑनलाइन से विद्यालय ने ऑफ लाइन कर दिया है। सूचना मिलने पर शनिवार को जगरनाथ महतो  डीपीएस चास पहुंचे। उन्होंने स्कूल के काउंटर पर खड़ा होकर नतिनी का अप्रैल से सितंबर 2020 तक प्रत्येक महीने  के 3,800 रुपए के हिसाब से 22,800 रुपए शिक्षण शुल्क जमा किया। इसके बाद उन्होंने स्कूल की प्रभारी प्राचार्य शैलजा जय कुमार से नतिनी के नाम काटने से संबंधित जानकारी हासिल की। प्रभारी प्राचार्य ने उनकी नतिनी का नाम काटने से इनकार किया। इसके पश्चात मंत्री वहां से निकल गए।

क्या है मामला

स्थानीय परिसदन में जागरण से वार्ता के क्रम में मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि उनकी बेटी रीना बोकारो इस्पात नगर में रहती हैं। नतिनी रिया डीपीएस चास में कक्षा चतुर्थ में अध्ययनरत है। बेटी ने दूरभाष पर दो दिन पूर्व नतिनी के शिक्षण शुल्क नहीं जमा करने पर नाम काटने से संबंधित जानकारी दी। इस पर उन्होंने स्कूल प्रबंधन से दूरभाष पर बातचीत की और कहा कि वे कुछ दिन बाद शिक्षण शुल्क जमा कर देंगे। बाद में बेटी ने दूरभाष पर जानकारी दी कि स्कूल प्रबंधन ने ऑनलाइन कक्षा से नतिनी का नाम काट दिया है। इसलिए वे स्कूल पहुंचे और नतिनी का शिक्षण शुल्क जमा कर दिया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वे मंत्री नहीं अपितु अभिभावक के रुप में स्कूल गए थे। निजी विद्यालयों के विरोध में कई प्रकार की शिकायतें मिल रही हैं। इसलिए इस संबंध में भी जानकारी हासिल की। अभिभावकों को किस प्रकार की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, इसका भी अनुभव करने फीस जमा करने के लिए स्वयं स्कूल गए। हालाकि स्कूल प्रबंधन ने नतिनी का नाम काटने से इनकार किया है।

कैबिनेट की बैठक में होगी चर्चा

मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि स्कूल प्रबंधन ने केवल शिक्षण शुल्क ही लिया है। इसके अलावा अन्य किसी प्रकार के शुल्क की वसूली नहीं की गई है। स्कूल ने नतिनी का नाम हटाया है या नहीं यह तो जांच से ही पता चलेगा। जिला शिक्षा पदाधिकारी इसकी जांच करेंगी। इसके अलावा इन्हें जिले के सभी निजी विद्यालयों के फीस से संबंधित जांच की रिपोर्ट भी सरकार को सौंपना है। कहा कि शिक्षा के मंदिर में राजनीति नहीं होनी चाहिए। अभिभावक यथा संभव शिक्षण शुल्क जमा कर सकते हैं। बच्चों की पढ़ाई नहीं रोकना चाहिए। कैबिनेट की बैठक में भी निजी विद्यालयों की ओर से शुल्क की वसूली व अन्य मुद्दे पर चर्चा होगी।

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