- 25 सितंबर को राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध दिवस : महेंद्र पाठक
रामगढ़। अखिल भारतीय किसान सभा झारखंड महासचिव अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक महेंद्र पाठक ने बयान जारी कर कहा कि केंद्र की मोदी सरकार कल किसान विरोधी तीनों विधेयक को संख्या बल के बल पर लोकसभा में पास करवाया। केंद्र सरकार देश के किसानों को लगातार धोखा दे रही है। देश में 300 किसान संगठनों सहित सारा विपक्षी दल, तीनों तीनों विधेयक को विरोध कर रहा है। लेकिन खेती को कारपोरेट घराने को सौंपने के लिए सरकार बेताब है। इसीलिए किसान विरोधी ,आम जनता विरोधी यह विधेयक पास कराने के लिए हर हथकंडे को अपना रही है। जबकि स्वामीनाथन आयोग को सिफारिश को लागू करने से किसानों को भला होता ,परंतु उसको लागू करने के बजाए खेती को कारपोरेट हाउसेस के हवाले कर रही है। झारखंड में किसानों के संघर्ष को देखते हुए अंग्रेजों ने भी छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम एवं संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम बनाकर लोगों को हिफाज़त किया था। लेकिन यह सरकार लगातार किसानों पर हमला कर रही है।
सरकार लगातार किसानों पर हमला कर रही है
किसानों के लागत के दोगुना आमदनी करने के नाम पर भी धोखा दिया। अब मंडी को समाप्त कर ओने पौने भावों में दलालों के माध्यम से खरीद फरोख्त कर जमाखोरी करने खुली छूट दे रही है। दुनिया भर के किसानों की कंपनियों से रक्षा सरकारें करती है। कटाई के बाद फसल को तुरंत बेचना होता है। वरना वे नष्ट होगी तथा उसका मूल्य गिरेगा, वह नजदीक की मंडियों में ही बिकती है, दूर ले जाने पर भारी खर्च पड़ता है। कहीं भी बेचने की आजादी और अच्छा दाम प्राप्त कर पाना धोखा देने के अलावा कुछ नहीं है। जो कारपोरेट बाजार नियंत्रण कर किसानों को नीचोडते हैं ,उन पर नियंत्रण सरकारी रेट एवं सरकारी खरीद से ही किया जा सकता है। लेकिन सरकार लगातार किसानों पर कहर ढा रही है। इसीलिए देशभर के 300 से अधिक किसान संगठनों ने आवाहन किया है कि पँजाब और हरियाणा बँद ,चकाजाम एवं 21 सितंबर से गांव गांव में सरकार का पुतला दहन एवं 25 सितंबर को राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध मार्च, धरना प्रदर्शन ,जुलूस , आमसभा ,प्रिंट मीडिया ,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ,सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार करने का ऐलान किया है ।
किसान संगठनों से केंद्र सरकार के विरुद्ध संघर्ष को तेज करने का आह्वान
का. महेन्द्र पाठक ने राष्ट्रपति महोदय से आग्रह किया है कि आप दलित परिवार से आते हैं ,आप से जादा किसानों के दर्द को कौन समझ सकता है । ऐसे किसान विरोधी विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करें किसानों को नुकसान होने वाला है। देश की अर्थव्यवस्था चौपट होने पर सरकार की नजर अब किसानों पर है।बावजूद सरकार नहीं मानी तो देश भर के किसान संसद के घेराव करने से भी नहीं चुकेंगे। श्री पाठक ने किसान संगठनों से केंद्र सरकार के विरुद्ध संघर्ष को तेज करने का आह्वान किया है ।