देवघर । पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि देवघर की अर्थव्यवस्था बाबा मंदिर से जुड़ी है। सरकार से मांग है कि देश के अन्य मंदिरों की तरह विश्व प्रसिद्ध बाबा बैद्यनाथ मंदिर को देश के तीर्थयात्रियों के लिए खोले। कोरोना काल में लाॅकडाउन के मानकों का ख्याल रखते हुए प्रतिदिन पांच हजार भक्तों को पूजा कराए। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मुख्य सचिव से भी बात किए हैं।
नौ महीना के झूठे वायदों को देखकर प्रदेश की जनता आक्रोशित है
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने के बाद बाबा से आशीर्वाद लेने पहुंचे रघुवर दास ने शुक्रवार को हेमंत सरकार पर जमकर बरसे। यहां प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि नौ महीना के झूठे वायदों को देखकर प्रदेश की जनता आक्रोशित है। इसका जवाब दुमका और बेरमो विधानसभा के उपचुनाव में जनता देगी। पूर्व सीएम ने कहा कि यहां कैश एंड कैरी चल रहा है। पैसा लाओ और काम कराओ। सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए कि उसने नौ महीने के कार्यकाल में अपने एजेंडा पर कितना काम किया है।
सीएमओ में भ्रष्टाचार है
इससे पहले गुरूवार की रात भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास देवघर पहुंचे। देवघर पहुंचने पर रघुवर ने कहा कि सीएमओ में भ्रष्टाचार है। नौ महीने में पैसे का खूब खेल हुआ है। 1500 लोगों की ट्रांसफर-पोस्टिंग हुई है। दारु माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए एक्साइज डयूटी माफ कर दिया। पूछा कि मुख्यमंत्री बताएं अपने ओएसडी को क्यों हटा दिया। पूर्व मुख्यमंत्री ने सीएम हेमंत सोरेन को चुनौती दी कि हिम्मत है तो एक निश्चित समय सीमा में मेरे कार्यकाल में किए गए कार्य की जांच कराएं। सवालिया लहजे में कहा कि झूठे वायदे कर सरकार बनाने वाले सीएम बताएं कि नौ महीने में क्या नौ लोगों को भी रोजगार दिया है? भाजपा शासनकाल में यहां के मूलवासी आदिवासी को जो नौकरी दिया गया उसे भी छीन लिया।
उपचुनाव तय करेगा दिशा व दशा
रघुवर दास ने कहा कि दुमका और बेरमो उपचुनाव झारखंड की दिशा व दशा तय करेगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने हुंकार भरा कि भाजपा इस सरकार को लूटने नहीं देगी। कहा कि सरकार कह रही कि खजाना खाली है। तो राजस्व के लिए लीज का अवधि विस्तार करने के बजाय ऑक्शन करना चाहिए था। 2022 तक के लिए पत्थर खदान का लीज अवधि विस्तारित कर दिया। पैसा नहीं है तो दिल्ली में झारखंड भवन के रहते 6 लाख रुपया महीना किराया पर गेस्ट हाउस लेने की क्या जरुरत है। रघुवर ने कहा कि बिना विजन वाली सरकार है। जब सत्ताधारी दल निजी स्वार्जथ को ले सांठगांठ करने लगे तो अर्थतंत्र पर असर होता है।