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सिंधु झा सहित सैकड़ों महिलाओं ने छोड़ा विश्व हिंदू परिषद का साथ

कहा अनैतिकता बर्दास्त नही

रामगढ़ l सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर अपनी भूमिका निभाने वाली प्राचार्य सिंधु झा ने दर्जनों महिलाओं के साथ विश्व हिंदू परिषद से अलग होने की घोषणा एक विज्ञप्ति जारी कर किया है।
उन्होंने कहा की हिंदू संगठन के नाम से बने इस संगठन की पहचान रामगढ़ में हिंदुओं और महिलाओं के बीच में आपसी फूट डालकर मतभेद पैदा करने वाली बन चुकी है जिसका जिम्मेवार इसके एकमात्र जिला पदाधिकारी हैं जो संगठन को अपने निजी हित हेतु अपनी पसंद से उंगलियों पर नाचना चाहते है। श्रीमती झा ने कहा की वो एक सनातनी होने के नाते वीएचपी से जुड़ी थी पर वर्तमान में रामगढ़ जिले में संगठन को चलाने वाले पदाधिकारी की मनमानी और बदसलूकी से परेशान होकर अपने सम्मान के खातिर वो इस संगठन से अलग हो रहीं है जिसकी जानकारी उन्होंने दूरभाष पर प्रदेश के पदाधिकारियों को भी दिया है।
उन्होंने बताया कि पिछले एक साल से मैने अपना पूरा समय संगठन को दिया। उन्होंने फोटो और वीडियो जारी करते हुए कहा की बीते वर्ष 8 अक्तूबर को बजरंग दल की स्थापना दिवस के अवसर पर रांची में आयोजित धर्म सभा हेतु अपने क्षेत्र से सैकड़ों महिलाओं को मातृशक्ति में शामिल करवा कर ले गई थी साथ हीं अपने इन्ही मातृशक्ति में शामिल सैकड़ों महिलाओं के सहयोग से अपने क्षेत्र में आयोध्याधाम से आए पूजित अक्षत वितरण का कार्य संपन्न किया था। संगठन से मिले हर कार्य को मैं श्रद्धापूर्वक निभाने की कोशिश करती थी इसके बाद भी संगठन के जिला मंत्री की मनमानी और रवैया उनके प्रति ठीक नहीं रहा।
कभी संध्या 6 बजे के बाद जिला कार्यालय में लिट्टी चोखा का पार्टी रख कर महिलाओं को आमंत्रित करना और न आने पर उन्हें अलग थलग करना तो कभी बिना कोई जानकारी दिए किसी और को पदस्थापित करने जैसे अनेकों कारण है जो खुले मंच पर बोलना ठीक न होगा।
किसी भी राजनीतिक अथवा धार्मिक संगठन में महिला को संध्या समय में आने को बाध्य करना कहीं से भी उचित नहीं है वो भी तब जब वहां कोई संगठनात्मक बैठक आयोजित न हो इतना तो मैं भी जानती हूं क्योंकि मैं खुद भी संघ की अनुसांगिक संगठन विद्या भारती से जुड़ी जहां मैं शिक्षिका के रूप में अपनी सेवा दे रही हूं ।

फिर भी ऐसे बैठकों में न आने के कारण मुझ जैसी शिक्षित और घरेलू महिला जो संगठन के कार्यों में अपनी रुचि रखती हो उसे उपेक्षित करने वाले पदाधिकारी पर प्रदेश के वरिष्ट पदाधिकारी संज्ञान क्यों नहीं लेते ये चिंतनीय है।
इससे भी ज्यादा चिंतनीय विषय ये भी है की इतना बड़ा और अनुसासित संगठन में ऐसे लोगों के पृष्टभूमि पर गौर किए बिना क्यों जिला का पदभार दिया जाता है जिनका आचरण और व्यवहार मर्यादित न हो। अभी कुछ दिन पहले हीं इसी पदाधिकारी पर रांची रोड स्थित एक घर में घुस कर महिला से छेड़छाड़ और मारपीट का आरोप लगा था जिसका मामला अभी लंबित है। इसके कुछ दिनों बाद उसी पदाधिकारी पर रामगढ़ के हीं एक अन्य हिंदू संगठन के कार्यकर्ता से मारपीट करने की जानकारी भी लिखित रूप से थाना को दिया गया था। पिछले दो वर्षों से देखने को मिल रहा है की रामनवमी में अध्यक्ष पद को लेकर उसी पदाधिकारी द्वारा पूरे रामगढ़ के हिंदुओं में फूट डाला जा रहा है और एक धार्मिक अनुष्ठान में निजी स्वार्थ के लिए खलल डाला जा रहा है । कल के अखबारों में भी रामनवमी अध्यक्ष बनने को लेकर उसी पदाधिकारी की मनमानी करने और विरोध करने की खबरों को पढ़ कर अचंभित हूं की आखिर हिंदुओ के नाम से चलाए जाने वाले संगठन के पदाधिकारी हिंदुओं से हीं नफरत करते हुए क्यों दिखते हैं ?
और उन्हें पराश्र्य देने वाले उन नेताओं से भी सवाल है की आखिर ऐसा क्या मजबूरी है विश्व हिंदू परिषद जैसे राष्ट्रीय संगठन के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों को भी बार बार शिकायत मिलने के बाद भी क्यों कोई कार्यवाही नहीं करते ? इसी के कारण आज हिंदुओं में बिखराव आने लगा है और एक अनुशासित संगठन पूरे जिले में कमजोर और बदनाम हुआ पड़ा है।
एक सजग वोटर और महिला होने के नाते उन राजनीतिक संगठनों के नेताओं से भी अपील करना चाहूंगी कि अगर यही हाल रहा और ऐसे व्यक्ति को अपने साथ मंच पर बिठाया अथवा इनका समर्थन किया तो उन्हें भी नुकसान झेलना पड़ सकता है।

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