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श्री दशलक्षण महापर्व के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म की हुई पूजा

  • आत्मा का स्वभाव ही सरल स्वभाव, प्रत्येक प्राणी को सरल स्वभाव रखना चाहिए

रामगढ़। श्री दिगंबर जैन मंदिर एवं श्री पारसवनाथ जिनालय रांची रोड मै दशलक्षण महापर्व के तीसरे दिन “उत्तम आजर्व “धर्म का पूजा पुरे विधि विधान के साथ किया गया।पंडित सुदेश जी जैन ने पूरी विधि विधान से पूजा अर्चना कराया। श्री दिगंबर जैन मंदिर मैं तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म की पूजा हुई। मंदिरों में तीसरे दिन जलाभिषेक रमेश विकास सेठी एवं सुरेश सेठी ने किया। वही शांति धारा अमित सेठी और प्रमोद सेठी द्वारा किया गया। श्री दशलक्षण महापर्व को लेकर श्री दिगंबर जैन समाज के लोग अपने अपने घरों में ही रह कर पूजा कर रहे हैं।

तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म की हुई पूजा

“ऋजोर्भावः इति आर्जव”अर्थात् आत्मा का स्वभाव ही सरल स्वभाव है। इसलिये प्रत्येक प्राणी को सरल स्वभाव रखना चाहियें। यह आत्मा अपने सरल स्वभाव से च्युत होकर पर-स्वभाव में रमते हुए कुटिलता से युक्त ऐसे नरक, तिर्यंच, मनुष्य और देव इन चारों गतियों में भ्रमण करते हुए टेढ़ेपन को प्राप्त हुआ हैं। इसके इस स्वभाव के निमित्ति से यह आत्मा दिखावट, बनावट, छल, कपट और पापाचार इत्यादि को प्राप्त होकर आप दूसरों के द्वारा ठगाने वाला हुआ है।

सरल स्वभाव के साथ परम आनंद मोक्ष प्राप्त कर सकते है

जब यह आत्मा मन, वचन, काय से सम्पूर्ण पर-वस्तु से विरक्त होकर अपने आप में रत होता है तब यह जीवात्मा अपने सरल स्वभाव को प्राप्त होकर पर-वस्तु से भिन्न माना जाता है तभी यह सुखी हो जाता है।उत्तम आजॅव धर्म हमें सिखाता है कि मोह-माया, बुरे कमॅ सब छोड -छाड कर सरल स्वभाव के साथ परम आनंद मोक्ष प्राप्त कर सकते है।मीडिया प्रभारी राहुल जैन ने बताया कल” उत्तम सत्य ” धर्म का पूजा किया जायेगा।

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