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बेरूत को 30 करोड़ डॉलर की आपात सहायता का वादा

बेरूत।  विश्व नेताओं और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने धमाके के मद्देनजर लेबनान को 30 करोड़ डॉलर की आपात सहायता मानवीय आधार पर देने का वादा किया है, लेकिन साथ ही चेताया है कि पुननिर्माण के लिए कोई पूंजी तब तक उपलब्ध नहीं होगी जबतक लेबनानी अधिकारी लोगों की मांग के अनुरूप राजनीतिक और आर्थिक सुधार को लेकर प्रतिबद्धता नहीं जताते। रविवार को हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल करीब 30 प्रतिभागियों ने चार अगस्त को बेरूत में हुए धमाके की ‘विश्वसनीय और निष्पक्ष’ जांच में मदद की पेशकश की। यह एक अन्य प्रमुख मांग है जिसको लेकर लेबनानी जनता ने शनिवार और रविवार को सड़कों पर प्रदर्शन किया। बेरुत में, लेबनान के दो कैबिनेट मंत्रियों, जिनमें प्रधानमंत्री का एक शीर्ष सहायक शामिल है, ने इन संकेतों के बीच इस्तीफा दे दिया कि राजधानी बेरूत धमाके उपजे गुस्से की वजह से सरकार अस्थिर हो सकती है। इस धमाके में 160 लोगों की मौत हुई है और करीब छह हजार लोग घायल हुए हैं। इस घटना से जनता का आक्रोश चरम पर पहुंच गया है। लेबनान की सूचना मंत्री मनाल अब्देल समद ने इस्तीफा देते हुए कहा कि वह लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पाने और पिछले हफ्ते हुए धमाके की वजह से इस्तीफा दे रही हैं। इसके बाद खबरें आ रही हैं कि और भी मंत्री अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।

सत्ता प्रणाली ‘शिथिल और निष्प्रभावी’

लेबनान के पर्यावरण मंत्री दामेनियोस कातर ने भी रविवार देर रात अपने पद से इस्तीफा देते हुए कहा कि सत्ता प्रणाली ‘शिथिल और निष्प्रभावी’ हो गई है। उन्होंने रविवार को बंद दरवाजे में हुई बैठकों और प्रधानमंत्री हस्सान दियाब के साथ फोन पर हुई बातचीत के बावजूद पद छोड़ने का फैसला किया। कई और मंत्री भी अब्देल समद का अनुकरण कर रहे हैं। हालांकि, और इस्तीफों को रोकने के लिए राजनीतिक कोशिश की जा रही है। नियमों के तहत अगर 20 मंत्रियों में से सात मंत्री इस्तीफा दे देते हैं तो कैबिनेट को भंग करना होगा और कार्यवाहक सरकार के तौर पर जिम्मेदारी निभानी होगी। बेरूत स्थित ‘कार्नेगी मिडिल ईस्ट सेंटर’ की निदेशक महा यह्या ने कहा कि चर्चा साफ तौर पर रेखांकित कर रही है कि पिछले दरवाजे से एक नयी सरकार बनाने की कोशिश की जा रही है जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य हो, साथ ही लोगों का गुस्सा भी शांत हो। उन्होंने कहा कि वास्तव में मौजूदा सरकार निष्क्रिय रही। वह न तो कोई सुधार कर सकी और न ही पूरी तरह से विभाजित राजनीतिक माहौल में अपना स्वतंत्र अस्तित्व दिखा सकी। यहां तक कि मंत्री भी इस डूबते जहाज से बाहर जा रहे हैं। इस बीच, चार सांसदों ने रविवार की घोषणा की कि वे 128 सदस्यीय संसद से इस्तीफा दे रहे हैं। इससे पहले भी चार सदस्य अपने इस्तीफे की घोषणा कर चुके हैं जबकि इस हफ्ते में संसद का सत्र होना है।

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