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लालू के समधी जेडीयू में शामिल होकर तेजस्वी पर चलाएंगे ‘तीर’

पटना –बिहार देश का पहला राज्य बनने जा रहा है जहां कोरोना महामारी के दौरान, तय समय पर विधानसभा के चुनाव होंगे। निर्वाचन आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोरोना को लेकर निर्धारित गाइडलाइन के तहत ही बिहार में तय समय पर ही चुनाव कराए जाएंगे। इसका मतलब यह है कि बिहार में अक्टूबर-नवंबर में चुनाव हो सकते हैं। चुनाव कितने फेज में होंगे यह तो निर्वाचन आयोग को तय करना है लेकिन बिहार निर्वाचन विभाग में जब सर्वदलीय बैठक हुई थी तब जेडीयू ने एक फेज में ही चुनाव कराने की मांग रखी थी।

आरजेडी के तीन और विधायक हो सकते है जेडीयू में शामिल
जाहिर है अब बिहार विधानसभा 2020 में ज्यादा दिन नहीं बचे हैं, लिहाजा राजनीतिक दलों ने चुनाव जीतने के हर तिकड़म अपनाने शुरू कर दिए हैं। इसके अलावा राजनीतिक दलों के नेता भी अपने सुविधानुसार दल बदल का खेल-खेलने में जुट गए हैं। तीन दिन पहले ही बिहार सरकार के उद्योग मंत्री श्याम रजक ने नीतीश का साथ छोड़ लालू के लालटेन पकड़ ली थी। इसके ठीक दूसरे दिन जेडीयू ने भी आरजेडी के तीन विधायक प्रेमा चौधरी, महेश्वर यादव और डॉ.अशोक कुमार को अपनी पार्टी में शामिल कराकर करारा जवाब दे दिया था। अब एक बार फिर जेडीयू की ओर से आरजेडी को बड़ा झटका देने की तैयारी की जा रही है। सूत्र की मानें तो लालू यादव के समधी चंद्रिका राय, फराज फातमी और पालीगंज से आरजेडी विधायक जयवर्धन यादव कल जेडीयू में शामिल हो सकते हैं। बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय के पुत्र और बिहार के परसा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चंद्रिका राय का राजनीतिक जीवन तीन दशक का है। उन्होंने निर्दलीय और कांग्रेस एवं आरजेडी के नेता के रूप में काम किया है। आपको यह भी बता दें कि आरजेडी विधायक जनार्दन यादव, दिवंगत राम लखन सिंह यादव के पोते हैं।

क्या तेजस्वी यादव से नही संभल रही पार्टी
लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव भले ही नेता प्रतिपक्ष हो और आरजेडी की कमान अपने हाथों में ले रखी हो। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या वह पार्टी को एकजुट रखने में असफल साबित हो रहे हैं। क्योंकि महज एक सप्ताह के भीतर उनके छह विधायक पार्टी छोड़कर जेडीयू में शामिल हो रहे हैं। दूसरी तरफ महागठबंधन के घटक दल भी तेजस्वी के नेतृत्व को स्वीकार करने को तैयार नहीं दिखते। इसमें सबसे बड़ा नाम हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी का है। उन्होंने कई बार खुले मंच से तेजस्वी यादव पर प्रहार किया है। जीतन राम मांझी ने तो यहां तक कह दिया था कि तेजस्वी यादव किसी की नहीं सुनते। बता दें कि तकरीबन एक साल पहले जीतन राम मांझी ने महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग की थी। जिसे आरजेडी के साथ-साथ कांग्रेस ने भी आज तक तवज्जो नहीं दिया। सूत्र बताते हैं कि जल्द ही जीतन राम मांझी भी महागठबंधन छोड़ नीतीश खेमे में यानी एनडीए में शामिल हो सकते हैं।

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