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चीन को सबक सिखाने की तैयारी, इजरायल के साथ मिलकर हाइटेक वेपन सिस्टम्स तैयार करेगा भारत

नई दिल्ली : चीन धोखे से 1962 का युद्ध क्या जीत लिया, उसने धोखेबाजी को ही भारत के खिलाफ अभियानों का आधार बना लिया। अब जब भारत धोखे से जमीन हड़पने की उसकी कोशिशों पर पानी फेर रही है तो चीन बिलबिला उठा है। उसके लिए दुखद खबर यह है कि भविष्य में उसकी यह बिलबिलाहट बढ़ने वाली है क्योंकि भारत ने उसे धौंस जमाने से लेकर युद्धभूमि में असली आमना-सामाना होने तक, हर मोर्चे पर चीन को मात देने के पुख्ता इंतजाम की तरफ कदम बढ़ा दिया है।

चीन को सबक सिखाने की बड़ी रणनीति

इसके तहत भारत ने इजरायल के साथ मिलकर अत्याधुनिक हथियारों का पूरा तंत्र विकसित करने की योजना बनाई है। इसके लिए भारत और इजरायल के रक्षा सचिव की अगुवाई में गुरुवार को रक्षा सहयोग पर संयुक्त कार्यसमूह के अंदर एक नया सब-ग्रुप बना दिया गया। इस रक्षा औद्योगिक सहयोग पर उप-कार्यसमूह का मुख्य काम तकनीक के हस्तांतरण , रक्षा उपकरणों का संयुक्त विकास और उत्पादन, तकनीकी सुरक्षा, कृत्रिम मेधा , नवाचार और तीसरे देशों को संयुक्त निर्यात सुनिश्चित करना होगा। भारत को हथियारों के आपूर्तिकर्ता देशों की लिस्ट में इजरायल करीब दो दशकों से चौथे स्थान पर कायम है। वह भारत को हर साल करीब 1 अरब डॉलर (करीब 70 अरब रुपये) मूल्य का सैन्य निर्यात करता है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अब जब भारत का रक्षा उद्योग भी मजबूत हो रहा है तब दोनों देशों के बीच अनुसंधान एवं विकास (R&D) के साथ-साथ साझे विकास एवं उत्पादन की परियोजनाएं बढ़ाने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, इजरायल मिसाइलों, सेंसरों, साइबर सिक्यॉरिटी और वायरस डिफेंस सब-सिस्टम्स के क्षेत्र में वर्ल्ड लीडर है। बहरहाल, भारतीय रक्षा मंत्रालय में रक्षा उद्योग एवं उत्पादन के संयुक्त सचिव संजय जाजू और इजरायली रक्षा मंत्रालय में एशिया ऐंड पसिफिक रीजन के डायरेक्टर इयाल कैलिफ  नवनिर्मित उप-समूह के नेतृत्वकर्ता हैं।

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