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कोल इंडिया ने जारी की कोयला कंपनियों की रैंकिंग, लाभ के बावजूद सबसे नीचे लुढ़क गई बीसीसीएल

  • बीसीसीएल को मात्र 68.93 फीसद स्कोर मिला

धनबाद।  कोल इंडिया की सभी इकाइयों में बीसीसीएल सबसे नीचे पायदान पर है।  मंगलवार को कंपनी बोर्ड की स्वीकृति के बाद जारी लिस्ट में इसे गुड से ही संतोष करना पड़ा। बीसीसीएल को मात्र 68.93 फीसद स्कोर मिला। 90.69 स्कोर के साथ नार्दन कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) अव्वल आकर एक्सीलेंट का खिताब पा गई। अन्य कंपनियों को वेरी गुड की श्रेणी में रखा गया। बीसीसीएल की यह दुर्गति उसके लचर प्रदर्शन को देखते हुए हुई। हालांकि कंपनी के अधिकारियों की मानें तो पिछले वर्ष की तुलना में सुधार हुआ। गत वर्ष वह इससे भी नीचे फेयर की श्रेणी में थी।
पीआरपी पर होगा असर
कंपनी की रैंक नीचे गिरने से छवि पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बीसीसीएल के अधिकारियों के पीआरपी भुगतान पर असर होता है। उनके परफॉर्मेंस रिलेटेड पे में कमी होगी।
छह बिंदु पर होती है मार्किंग
रैंकिंग के लिए कोयले का उत्पादन, डिस्पैच, गुणवता, सेफ्टी, सीएसआर और प्राफिट-लास को देखा जाता है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में कंपनी ने लाभ अर्जित किया था। बावजूद इसके सीएसआर, सेफ्टी, क्वालिटी में गिरावट के कारण कंपनी गुड से वेरी गुड में नहीं आ सकी। वर्ष 2015 से 17 तक कोयला मंत्रालय का कोल इंडिया की सभी अनुषंगी इकाइयों के साथ एमओयू होता था। मंत्रालय कंपनियों की रैंक तय करता था। 2017 के बाद कोयला मंत्रालय और कोल इंडिया के बीच एमओयू होने लगा। वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद प्रत्येक कंपनी का आडिट होता है। आडिट रिपोर्ट कोल इंडिया की बोर्ड की बैठक में रखा जाता है। उसके आधार पर रैंक तय होती है।

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